हिंदी विश्वविद्यालय में फेकल्टी डेव्लपमेंट प्रोग्राम
भोपाल UPDATE/जयहिन्द न्यूज़। अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में एप्को के सहयोग से दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में जलवायु परिवर्तन के कारण और प्रभाव पर विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम के दूसरे दिन एक्टिविटी करवाने के साथ सभी प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट दिये गये।
क्लाइमेंट चेंज विषय पर एमपीसीसीएमए की प्रोजेक्ट एसोसिएट सुश्री राशि अभिलाषा ने बताया कि लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन से कई फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। एक अन्य विशेषज्ञ श्री सारांश बाजपेयी ने बताया कि 192 देशों ने क्योटो संधि की थी। जिसके तहत विकसित देशों को मीथेन जैसे नुकसानदायक गैसों के उत्पादन में पांच फीसदी कमी करनी थी, लेकिन बाद में लगभग सभी देश इस समझौते से दूर होते गये। कार्यशाला में उपस्थित कृषि विशेषज्ञ श्री राम रतन सिमैया ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण स्वास्थ्य के साथ फसलों पर भी प्रभाव पड़ रहा है। जनवरी फरवरी माह में तापमान के उतार चढ़ाव से आम, जामुन, चिरोंजी और महुआ की पैंदावार घटी है। कार्यशाला में आयोजित सत्रों में कृषि से जुड़े सभी क्षेत्रों पर हो रहे प्रभाव को विस्तारपूर्वक समझाया गया।
कार्यक्रम के अंत में सभी 42 प्रतिभागियों को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रामदेव भारद्वाज और कुलसचिव डॉ. बी. भारती ने प्रमाण पत्र वितरित किये। इस मौके पर कुलसचिव डॉ. भारती ने कहा कि समाज और प्रकृति के प्रति हम सभी को अपनी नैतिक जिम्मेवारी निभानी होगी, तभी हमारी आगे आने वाली पीढ़ी खुली हवा में सांस ले सकेगी। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने हमें जरूरत की हर वस्तु दी है। लेकिन आज आत्मंथन करने की आवश्यकता है कि हमने प्रकृति को सहेजने के लिये क्या किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक उपस्थित रहे।
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