पिछले कुछ दिनों से अपने बारे में लगातार अख़बारों में पढ़ रहा हूँ कि आशुतोष राणा २०१९ में होने वाले लोकसभा चुनाव में सांसद का चुनाव लड़ने वाले हैं।
विभिन्न क़िस्म के क़यास लगाए जा रहे हैं, कोई अख़बार लिखता है की मैं जबलपुर से चुनाव लड़ूँगा तो किसी ने लिखा होशंगाबाद-नरसिंगपुर से चुनाव लड़ूँगा, किसी का मानना है कि सागर सीट से समर में उतारा जा सकता है तो कोई लिखता है खजुराहो-कटनी लोकसभा उपयुक्त है।
किसी का कहना है कि कांग्रिस पार्टी से उम्मीदवारी तय है तो कोई कहता है राणा का भविष्य भाजपा में है। कहीं लिखा गया की राजनीतिक पार्टियाँ मुझसे सम्पर्क साध रही हैं तो किसी ने लिख दिया की राणा पार्टियों से सम्पर्क साध रहे हैं और राजनीति में अपना भविष्य तलाश रहे हैं।
बहरहाल अब बात आती है कि आशुतोष का क्या कहना है?
मैं अपने छात्र जीवन से ही राजनीति में रुचि रखने वाला व्यक्ति रहा हूँ, इसी के चलते आज भाजपा हो या कांग्रिस इन दोनों प्रमुख पार्टियों में मेरे बहुत क़रीबी मित्र हैं जो आज उच्च पदों पर आसीन हैं और उन सभी से मेरी मित्रता कोई आज की नही है दशकों पुरानी है, साथ ही राजनीति मेरे लिए अनजान अपरिचित नही है इससे मेरा परिचय छात्र जीवन से ही रहा है, इसलिए इसकी चाल, चित्त और चिंतन से भली भाँति परिचित भी हूँ। कुछ लोग होते हैं जो अभिनेता होने के बाद नेता बनते हैं किंतु मेरे सभी मित्र कहते हैं की आशुतोष उनमें से है जिसका रूपांतरण नेता से अभिनेता के रूप में हुआ।
वास्तविकता ये है कि राजनीति में सक्रिय अपने मित्रों से निरंतर सम्पर्क में होने के बाद भी ‘चुनाव के लिए’ इन दोनों प्रमुख दलों के मित्रों ने ना तो मुझसे सम्पर्क साधा और ना ही मैंने चुनाव से सम्बंधित कोई बात उनसे की।
फिर यह चर्चा क्यों? तो इसका प्रमुख कारण है कि पेशेवर अभिनेता होने के बाद भी मेरे परमपूज्य गुरुदेव दद्दाजी ने मुझे देशभर में होने वाले धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रमों से लगातार जोड़े रखा इससे समाज के बीच मेरी सक्रियता बरक़रार रही। समय बदला, स्थान बदला, स्तिथि, परिस्थिति, पेशा बदला किंतु अगर कुछ नही बदला तो वे थे मेरे मित्र, मेरी रूचियाँ, और मेरी सामाजिक सक्रियता। इस सबके बाद भी अब तक राजनीति से मेरा रिश्ता मात्र उतना ही रहा है जितना किसी लोकतांत्रिक देश के एक ज़िम्मेदार नागरिक का होता है जो अपने मतों ( विचार ) और अपने मत ( वोट ) को लेकर सजग होता है, इसलिए वो अपने विचार और अपनी वोट का इस्तेमाल बहुत सोच समझकर करता है जिससे देश की अखंडता उसकी अस्मिता पर आँच ना आने पाए।
भविष्य के गर्भ में क्या छुपा है? इसे संसार में कोई नहीं जानता, इसलिए वर्तमान को ही सँवारने की सलाह गुणी और कर्म प्रधान लोगों के द्वारा दी जाती रही है, मैं वर्तमान में अभिनेता हूँ, अभिनय में मुझे आनंद मिलता है, अभिनय से मेरा मन अभी भरा नही है। अभिनय के प्रति मेरी इसी ललक के कारण परमपूज्य गुरुदेव के आशीर्वाद और आप सदमित्रों की शुभकामनाओं के चलते मेरे हिस्से में पिछले साल धड़क, मुल्क और सिंबा जैसी तीन सुपरहिट, सफल फ़िल्में आयीं और अब २०१९ की शुरूवात ‘सोनचिड़िया’ और ‘मिलन टॉकीज़’ से हो रही है। मुझे विश्वास है कि २०१८ की भाँति ही २०१९ में आने वाली मेरी फ़िल्में भी आपका भरपूर मनोरंजन करेंगी।
इसलिए मेरी राजनीतिक सक्रियता से सम्बंधित सभी चर्चाओं को विराम दीजिए और १ मार्च को सोनचिड़िया देखकर मुझे अपने आशीर्वाद, अपनी शुभकामनाओं से सम्पन्न कीजिए ताकि मैं पहले से अधिक गहरा और प्रभावी अभिनेता बन सकूँ, जिसके अंदर आपके मन का रंजन करने सामर्थ्य पैदा हो सके।
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