भोपाल : 18 फरवरी, 2018. प्रदेश में स्थित राष्ट्रीय उद्यान,अभ्यारण्य एवं टाईगर रिजर्व में बिखरी पुरा-सम्पदा,स्मारकों औरस्थलों के चिन्हांकन के लिए पुरातत्व विभाग द्वारा कराए गए पुरातत्वीय सर्वेक्षण में कई ऐतिहासिक पुरावशेष, प्राचीन मंदिर, साक्ष्य, शैलचित्र और देवी-देवताओं की प्राचीन दुर्लभ मूर्तियाँ प्रकाश में आयी हैं।
पुरातत्व आयुक्त श्री अनुपम राजन ने कहा है कि पुरातत्वीय खोज में मिले पुरावशेष, मंदिर पुरातत्वीय
स्मारक/ स्थलों का संरक्षण एवं अनुरक्षण कार्य करवाया जाना जरूरी है।
श्री अनुपम राजन ने बताया है कि पुरातत्वीय सर्वेक्षण में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान (टाईगर रिजर्व)
के बांधवगढ़ किला से कलचुरी अभिलेख एवं अनेक मंदिर चिन्हिंत हुए हैं। यहाँ मिले प्रमाण के अनुसार
अकबर द्वारा बांधवगढ़ के नाम से चांदी के सिक्के जारी किये गये और संत कबीर 16 वीं शती ई. में
इस किले में कुछ समय तक रहे। किले के अंदर 18 स्थानों पर शिवमंदिर, राम-जानकी मंदिर, खजाना
मंदिर, मण्डप, मोतीमहल-रानी महल, कच्छप, मत्स्यावतार मंदिर, भू-वराह प्रतिमा, घुड़साल,शेषशायी
विष्णु,बड़ी गुफा,किला दरवाजा, कचहरी, प्राचीन मंदिर और कबीर मंदिर 5-6वीं शती से लेकर 16-17 वीं
शती ई. के होने के साथ ही कला की दृष्टि से बे-जोड़ हैं। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान (टाईगर रिजर्व) के
बांधवगढ़ किला का निर्माण 4-5 वीं शती ई. में प्रारंभ होने के प्रमाण मिले हैं।
होशंगाबाद जिले में स्थित सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान 4 वन्य परिक्षेत्र तवा, बोरी, चूरना एवं पचमढ़ी
परिक्षेत्र चित्रित शैलाश्रयों के लिए जाना जाता है। इसमें से बोरी परिक्षेत्र में विशाल चित्रित शैलाश्रय, चूना
परिक्षेत्र में चूरनागुंडी शैलाश्रय तथा पचमढ़ी परिक्षेत्र में बदकछार,शेरगुफा शैलाश्रय, सदेंरी शैलाश्रय, बाबा
गार्डन शैलाश्रय एवं महादेव शैलाश्रय महत्वपूर्ण हैं। इस अभ्यारण्य क्षेत्र में शैलाश्रयों के अलावा पचमढ़ी
परिक्षेत्र में रानी का महल,लाट सिंगार एवं क्राईस्ट चर्च तथा तवा रेंज में माता सत्यवती मंदिर, प्राचीन
वाबड़ी एवं महल सुल्तान गौरी का किला एवं चौकी, तिलक सिंदूर मंदिर तथा कालभैरव मंदिर महत्वपूर्ण
स्मारक हैं।(UpdateMpCg.com)