भारतीय किसान संघ और किसानो की बहुत पुरानी मांग लागत के आधार कृषि उपज का मूल्य तय हो इस को इस बार बजट में खरीप फसल को देने की घोषणा की है।
यह मुल्य किसान को दिलाने के लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर केंद्र सरकार पुख्ता इंतजाम करगी यह अच्छी बात है।
इस बजट में जैविक खेती, मछली पालन, पशुपालन का ध्यान रखा है। इसे KCC के साथ जोड़ा है यह राहत देने वाला है किन्तु आज ही KCC का क्रीयान्वयन ठीक से सभी राज्यों में नहीं हो रहा है उसे भी ठीक करना होगा।
ग्रामीण संरचना के लिए 14लाख 35 हजार करोड़ लगाने की बात ग्रामीण क्षेत्र में विकास की गति बढ़ा सकती है।
कृषि के लिए संस्थागत पूंजी 11 लाख की गयी है यह स्वागत योग्य है किन्तु इसे और बढ़ाना चाहिए था।
कृषि शिक्षा और अनुसन्धान को बजट में स्थान नहीं दिया गया यह आवशक था।
टमाटर,प्याज और आलू के लिए ऑपरेशन ग्रीन से भी किसान को लाभ होगा ऐसा लगता है।
कृषि उपज के निर्यात को बढ़ाना चाहिए यह किसान संघ का सुनिश्चित मत है इसे इस बजट में स्थान दिया यह अच्छा है। उसी प्रकार से 22000 ग्रामीण बाजार केंद्र की पहल यह भी भा किसान संघ के मांग के अनुसार ही है।
विशेष कृषि उत्पाद के लिए जिलों में प्रक्रिया उद्योग बढ़ना किसान की आय बढ़ाने के लिए उपयुक्त ही होगा बशर्ते इस में कुटीर,लघु उद्योगों को प्राथमिकता देनी होगी।
FPO के लिए टैक्स राहत देने का किसान संघ स्वागत करता है।
कुल मिला कर इस बार का बजट किसान को निश्चित रूप से राहत देने वाला है। किन्तु इस का क्रियान्वयन योग्य प्रकारसे हो यह अपेक्षित है।
