
कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने और उन्हें सुरक्षित रखने में कई स्वास्थ्यकर्मी अपनी खुशियां कुर्बान कर रहे हैं। अपने व्यक्तिगत जीवन से दूर इन्होंने कोरोना से लोगों को बचाने की ठान ली है और दिन रात इस मिशन में लगे हुए हैं। वक्त की पाबंदियों से ऊपर उठाकर ये लोग संदिग्धों और मरीजों की सेवा में लगे हैं। 8 के बजाय 12-14 घंटे कर रहे काम : मो.हैदर नगर निगम में सेनिटाइजेशन विभाग मे (सुपरवाइजर हैं) । आमतौर पर इनकी ड्यूटी आठ घंटे की होती है। कोरोना संक्रमण के खतरे के बाद से हैदर हर दिन 12-14 घंटे काम कर रहे हैं। सुबह 8 बजे इनका काम सेनिटाइजेशन की व्यवस्था से शुरू होता है दिन भर कोरोना कंटेनमेंट क्षेत्रों में जाकर सेनिटाइजेशन करवाते हें र्और रात में ज़रूरत मंद लोगों तक खाना पहुंचाते हें। हैदर कहते हैं, काम के घंटे का हिसाब रखना बंद कर दिया है। अब काम शुरू होने और उसके खत्म होने के हिसाब से समय का निर्धारण हो रहा है। हैदर के अनुसार वृद्ध माता-पिता के पास बैठे काफी समय गुजर गया। मेरे घर जाने से पहले सभी सो जाते हैं। सुबह यहां आने की जल्दी में समय नहीं मिल पाता। आज मैदान में डटकर कोरोना के खिलाफ युद्ध करने का समय है। मैदान छोड़ने का नहीं। इस लड़ाई के खत्म होने से बाद ही अपने परिवार के साथ समय बिताऊंगा । कोरोना से युद्ध में भारत विजय होने में योगदान देना हें ओर मेरा भारत कोरोना विजय प्राप्त करेगा । यही सोचकर अपने फर्ज को पूरा कर रहा हूं।
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