पशोपेश में दागी, चेहरा दिखाएं या छिपाएं!

0 अब बेनकाब होंगे कई सफेदपोश चेहरे!
एमपी जानेगा, कौन कितना बड़ा अपराधी

प्रदीप जायसवाल

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार को फटकार के बाद हरकत में आए चुनाव आयोग की गाइडलाइन से भी आपराधिक प्रवृत्ति के राजनेताओं में हड़कंप मचा हुआ है। काली करतूती नेताओं के सामने सबसे बड़ा धर्मसंकट अपनी इज्जत बचाने का है।
जो राजनेता अब तक अपनी कॉलर ऊंची कर खुद को सफेदपोश अवतार में पेश करते नजर आए हैं, अब लोगों के सामने उनका असली चरित्र साफ दिखाई देगा। चाहे बीजेपी हो कांग्रेस या फिर कोई अन्य दल, अब उन्हें और पार्टी उम्मीदवारों को आयोग की गाइडलाइन के तहत प्रिंट मीडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक खुद के पैसे खर्च करके यह बताना होगा कि वह छोटे अपराधी हैं या फिर खूंखार अथवा दुर्दांत। मंत्री सांसद और विधायक बन जाने के बाद लोगों को ईमानदारी निष्ठा, साफ-सुथरी छवि का पाठ पढ़ा कर ज्ञान परोसने वाले दागी नेता टिकट की दावेदारी में भी खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। टिकट मांगने की जद्दोजहद के बाद उनके सामने सबसे बड़ी बात खुद का चेहरा लोगों को उम्मीदवार के तौर पर बताना होगा कि उनकी अपनी असलियत है क्या। सरकार के कुछ मंत्री, विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद, निगम, मंडलों के अध्यक्ष और तमाम ऐसे जनप्रतिनिधि जो टिकट के दावेदार हैं, वे अब खुद ही थानों के चक्कर लगाने के साथ ही अदालतों में अपने पुराने मामले में जमानत की कवायद कर रहे हैं! हाल ही में प्रदेश के काबीना मंत्री गौरीशंकर बिसेन, बीजेपी के वरिष्ठ नेता संजय नगाइच के लगाए गए एक केस में जमानत कराने कोर्ट पहुंचे थे!
इधर, मध्यप्रदेश इलेक्शन वॉच संस्था ने जो रिपोर्ट जारी की थी, उसके मुताबिक मंत्री जयभान सिंह पवैया, राज्यमंत्री जालमसिंह पटेल, संजय पाठक, लालसिंह आर्य और हर्ष सिंह सहित भाजपा के 43 मौजूदा विधायकों के खिलाफ मामले दर्ज हैं। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक बाला बच्चन, गोविंद सिंह, केपी सिंह, विक्रम सिंह और आरिफ अकील समेत 19 विधायकों के खिलाफ मामले दर्ज हैं। मध्यप्रदेश इलेक्शन वॉच के सदस्य और पूर्व आईपीएस अरुण गुर्टू सभी राजनीतिक दलों को पत्र भी लिखकर दागियों को टिकट न देने की मांग कर चुके हैं। कई मौजूदा विधायकों पर सीरियस क्रिमिनल केस हैं।
दिलचस्प पहलू यह है कि बीजेपी हो या फिर कांग्रेस दोनों ही दल इस मामले में एकराय रखते हुए कहीं ना कहीं दागियों की पैरवी करते हुए नजर आ रहे हैं। पीसीसी चीफ कमलनाथ पहले ही साफ कर चुके हैं कि राजनीतिक और आपराधिक मामलों में फर्क है। कुछ इसी तरह का सुर बीजेपी के मुख्य प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय का भी सामने आ चुका है। जाहिर है, दोनों ही प्रमुख दलों को राजनीतिक मामलों से कोई खास फर्क नहीं पड़ता है, उन्हें तो सिर्फ जिताऊ और जिताऊ उम्मीदवार चाहिए।

क्या है चुनाव आयोग की गाइडलाइन

मध्यप्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए चुनाव आयोग की गाइडलाइन जारी हो चुकी है। हर प्रत्याशी को अपने खिलाफ दर्ज ऐसे मामलों की जानकारी तीन-तीन बार प्रदेश के बड़े अखबारों और न्यूज चैनलों में जारी करना होगी। हर प्रत्याशी को नाम वापस लेने की आखिरी तारीख से लेकर मतदान की तारीख के बीच अलग-अलग दिनों में तीन बार प्रदेश के प्रमुख अखबारों और समाचार चैनलों में विज्ञापन जारी कर अपने खिलाफ दर्ज मामलों की जानकारी सार्वजनिक करना होगी। प्रत्याशी को नामांकन फॉर्म में अपनी चल-अचल सम्पत्ति और शैक्षणिक योग्यता के बारे में भी बताना होगा। चुनाव आयोग ने इन बातों को ध्यान में रखते हुए नामांकन पत्र के फॉर्म नंबर 26 में बदलाव कर दिए हैं. विधानसभा चुनाव के परिणामों में विजयी प्रत्याशियों को परिणाम जारी होने के 30 दिन के अंदर यह प्रमाण चुनाव आयोग के समक्ष पेश करना होगा कि उन्होंने किन-किन अखबारों और न्यूज चैनलों में अपने आपराधिक मामलों की जानकारी सार्वजनिक की थी। updatempcg.com

Pradeep Jaiswal

Political Bureau Chief