कांग्रेस के लिए फूलों की सेज नहीं, काँटों का ताज़ है सत्ता

• ओपी शर्मा

आख़िर

१५ साल बाद मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो ही गया। भाजपा चली गई। कांग्रेस आ गई। भाजपा ने सत्ता में बने रहने के लिए अपने परम्परागत और विश्वसनीय सेनानियों (संघ के स्वयंसेवकों) का साथ लिया तो दूसरी ओर चुनावी रणभूमि में कांग्रेस को निहत्था खड़ी देख भाजपा का मदमर्दन करने के लिए अंतिम समय में जनता उसके साथ हो गई। २०१८ का यह चुनाव कांग्रेस और भाजपा के बीच नहीं बल्कि जनता और भाजपा के बीच ही लड़ा गया जिसमें जनता ने भाजपा से ताज छीनकर कांग्रेस को भेंट कर दिया। वह भी इस उम्मीद के साथ, कि १५ बरसों में धूलधूसरित हो चुके इस ताज को कांग्रेस साफ़ करेगी और इसकी चमक को पुनः लौटाएगी।

यह सच है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस ११४ सीटों के साथ अन्य के सहयोग से सत्ता में आ गई है लेकिन यह भी सही है कि भाजपा १०९ सीटों के साथ आज भी बराबरी की टक्कर में खड़ी है। यदि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने नर्मदा परिक्रमा और पूरे प्रदेश में एकता यात्रा नहीं की होती, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर चम्बल संभाग में इतनी मेहनत नही की होती, अरुण यादव ने मालवा निमाड़ के लोगों का दिल नही जीता होता, कमलनाथ पीसीसी अध्यक्ष नही बनाए जाते या फिर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के मुँह से “माई का लाल” शब्द नही निकला होता तो आज परिदृश्य एकदम अलग होता। उक्त घटनाओं में से किसी एक की अनुपस्थिति भी कांग्रेस को चौथी बार सत्ता से बाहर रखने के लिए पर्याप्त थी। इसलिए सत्ता में आने के बाद कांग्रेस के पास अहंकार का कोई कारण नही बचा है। उसे तो सिर्फ़ अब काम ही काम करना है। जनता कांग्रेस को एक भी दिन विश्राम में बैठे नही देखना चाहती है। उसे आज “राम के नाम पर कोहराम” की नही बल्कि विकास और रोज़गार के काम, फ़सलों के दाम, बलात्कार पर रोकथाम और भाईचारे के पैग़ाम की ज़रूरत है जिसे पूरा करने के लिए उसने भाजपा की तुलना में कांग्रेस को उपयुक्त समझा और उसे अवसर दिया है।

कांग्रेस के लिए ताज को हासिल कर लेना निश्चय ही बड़ी बात है लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि वह इसे आगामी ५ वर्षों में कितना साफ़ रख पाती है। कांग्रेस के लिए मध्यप्रदेश में सत्ता “फूलों की सेज” नही बल्कि “काँटों का ताज” है, जिसे पहनकर रोज़ उसकी चुभन महसूस करनी और सहनी पड़ेगी। २३० सीटों के सदन में ११४ सीटों वाली कांग्रेस को सत्ता बचाये रखने के लिए हर दिन सतर्क तो रहना ही होगा, साथ ही समाज के सभी वर्गों को भी साथ लेकर चलना होगा। तुष्टिकरण की राजनीति से बचना होगा और पुरानी ग़लतियों से सबक़ भी लेना होगा।

कांग्रेस को यह बात कभी नही भूलना चाहिए कि इस बार जनता ने उस पर वैसे ही भरोसा किया है, जैसे १५ साल की सज़ा काटकर बाहर आए क़ैदी पर पुलिस भरोसा करती है। कांग्रेस के समक्ष चुनौतियों का पहाड़ है । लगभग २ लाख करोड़ के कर्ज में डूबे मध्यप्रदेश की आर्थिक स्थिति २००३ की स्थिति से कई गुना बदतर है। बेरोज़गारी ऐतिहासिक मानदण्ड स्थापित कर रही है। बलात्कार में मध्यप्रदेश देश भर में शीर्ष पर है और आँकड़े देखकर प्रत्येक नागरिक का सिर शर्म से झुक जाता है। प्रदेश भ्रष्टाचार के कीचड़ में आकंठ डूबा हुआ है। संवैधानिक संस्थाओं पर अस्तित्व का संकट है। ऐसे वातावरण में लोग कांग्रेस की सरकार को आशा भरी निगाहों से देख रहे है।हाँ। कमलनाथ जी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही वचनपत्र में किए गए वादे पूरे करने की अखबारों को बगैर फुल पेज विज्ञापन दिए जिस तेजी से शुरुआत की है, उससे लग रहा है कि वे पूर्ववर्ती सरकार की भाँति वे अपने ताज को दूषित नही होने देंगे। आशा है कि चुनाव के पूर्व उनके द्वारा की गई घोषणाएँ बगैर किसी भाषण और विज्ञापन की नौटंकी के अवश्य पूरी की जाएगी।

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Pradeep Jaiswal

Political Bureau Chief