मुझे अभी ज्ञात हुआ है कि प्रदेश के जबलपुर में एक शासकीय स्कूल में पदस्थ एक प्राध्यापक ने एक बैठक में मेरा नाम लेकर डाकू शब्द कहे जाने के विडीओ सामने आने पर वहाँ के ज़िला प्रशासन ने शिकायत मिलने पर उन्हें सिविल सेवा आचरण नियम के तहत निलंबित किया है।
लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सभी को है , मेरा ऐसा मानना है।मैं सदैव इसका पक्षधर रहा हूँ।
यह भी सही है कि शासकीय सेवा में पदस्थ रहते हुए उनका यह आचरण नियमो का उल्लंघन हो सकता है , इसलिये उन पर निलंबन की कार्यवाही की गयी है।
लेकिन में यह सोचता हूँ कि इन्होंने इस पद पर आने के लिये कितने वर्षों तक तपस्या , मेहनत की होगी। इनका पूरा परिवार इन पर आश्रित होगा। निलंबन की कार्यवाही से इन्हें परेशानियो से गुज़रना पढ़ सकता है।
एक मुख्यमंत्री पर आपत्तिजनक टिप्पणी से इन पर निलंबन की कार्यवाही की जाये , यह नियमो के हिसाब से सही हो सकता है लेकिन में व्यक्तिगत रूप से इन्हें माफ़ करना चाहता हूँ।में नहीं चाहता हूँ कि इन पर कोई कार्यवाही हो।
एक शिक्षक का काम होता है , समाज का नवनिर्माण करना।विद्यार्थीयो को अच्छी शिक्षा देना।उम्मीद करता हूँ कि वे भविष्य में अपने कर्तव्यों पर ध्यान देंगे।
मेंने ज़िला प्रशासन को निर्देश दिये है कि इनका निलंबन अविलंब समाप्त हो।इन पर कोई कार्यवाही ना की जाये।वह ख़ुद तय करे कि जो इन्होंने जनता की चुनी हुई सरकार के मुख्यमंत्री के लिये जो कहा है , क्या वह सही है ?
उन्होंने यह भी कहा है कि पिछले 14 वर्षों में सेवा भारती को प्रताड़ित किया गया है।अपनो ने हमें परेशान किया।
में इन्हें बस इतना विश्वास दिलाता हूँ कि हमें ग़ैर ना समझे।हम बदले की भावना से कोई भी कार्य नहीं करेंगे और ना ही अपनो की तरह आपको प्रताड़ित करेंगे।
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कमलनाथ
मुख्यमंत्री
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