मंत्रियों की बदजुबानी से भी खफा है मुख्यमंत्री कमलनाथ
प्रदीप जायसवाल
भोपाल, Update/ जयहिंद न्यूज़। मध्यप्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है कि सरकार के एक नहीं, सात प्रवक्ता हो गए हैं। असल में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एकाधिकार खत्म करने और मंत्रियों की बदजुबानी रोकने के लिए यह कदम उठाया है।
उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री कमलनाथ दिग्विजय सिंह खेमे के दो मंत्रियों पीसी शर्मा और जीतू पटवारी के बीच सरकारी प्रवक्ता के तौर पर मची परस्पर खींचतान को खत्म करने के लिए कोई कारगर उपाय करना चाहते थे। ऐसे में उन्होंने एकाधिकार खत्म करते हुए सात मंत्रियों को मीडिया से बात करने का जिम्मा सौंप दिया, जो सरकारी कामकाज को लेकर अपना अधिकृत पक्ष रख सकेंगे। हालांकि, जिन मंत्रियों को मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं किया गया है, वे सरकार का पक्ष तो नहीं रख सकेंगे, लेकिन अपने-अपने विभागों की बातें खुलकर मीडिया को बता सकने के लिए स्वतंत्र रहेंगे। बताते हैं कि जिन मंत्रियों को मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत किया गया है, वे जनसंपर्क मंत्री की गैरमौजूदगी में या अन्य अधिकृत मंत्रियों की गैर हाजिरी में केबिनेट ब्रीफिंग भी कर सकेंगे। इसके अलावा जिलों के दौरों के दौरान यह सभी सात मंत्री मीडिया के समक्ष सरकार के कामकाज की जानकारी रख सकेंगे। दरअसल, जीतू पटवारी जनसंपर्क विभाग चाहते थे लेकिन यह विभाग पीसी शर्मा के हवाले होने के बाद कैबिनेट की ब्रीफिंग में उनकी ज्यादा दिलचस्पी होने पर मुख्यमंत्री को 7 सरकारी प्रवक्ताओं की नई व्यवस्था लागू करनी पड़ी है। उधर, मुख्यमंत्री, वरिष्ठ मंत्री सज्जन सिंह वर्मा समेत अन्य कुछ मंत्रियों की बयानबाजी से भी नाखुश बताए जा रहे थे। गौरतलब है कि शिवराज सरकार में सरकारी प्रवक्ता का जिम्मा सिर्फ एक मंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा पर ही था। इधर कांग्रेस में लागू की गई इस नई व्यवस्था को मुख्यमंत्री द्वारा मंत्रियों की गंभीरता के साथ जिम्मेदारी तय किए जाने से भी जोड़ा जा रहा है।
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