•बालश्रम बच्चों की किलकारी में बाधा : प्रशांत
हमारी शख्सियत में भाषा का अहम योगदान : उपाध्याय
भोपाल UPDATE. राष्ट्रीय सेवा योजना क्षेत्रीय निदेशालय भोपाल द्वारा स्वर्ण जयंती वर्ष पर बरकतउल्ला विश्वविद्यालय की संगठन व्यवस्था में रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में चल रहे राष्ट्रीय एकता शिविर के तीसरे दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम,नुक्कड़ नाटक, बौद्धिक सत्र एवं पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई। बौद्धिक सत्र ‘सशक्त समाज, सुरक्षित समाज’ एवं भाषा,व्यक्तित्व और संवाद विषय पर आयोजित किया गया, जिसमें यूनिसेफ से पी.लोलीचेन,बाल सुरक्षा अधिकारी अद्वैता मराठे, विशेषज्ञ प्रशांत दुबे एवं कला समीक्षक विनय उपाध्याय उपस्थित रहे। प्रतिभागियों ने बालश्रम एवं लैंगिक शोषण पर पोस्टर एवं नुक्कड़ नाटक को प्रस्तुत किया।
बाल सुरक्षा अधिकारी अद्वैता मराठे ने कहा कि गरीबी के लिए कोई बच्चा स्वयं जिम्मेदार नहीं होता, उसके साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए। उन्होने बच्चों के सपनों की हत्या को सबसे बडा अपराध बताते हुए कहा कि बालकों के मुद्दों के प्रति सभी को संवेदनशीन होकर कार्य करना चाहिए। बालश्रम सशक्त समाज के लिए एक अभिशाप है। हमें बालश्रम के कारणों पर भी गंभीरता से विचार करना चाहिए। अशिक्षा, बेरोजगारी, भूखमरी, बाल-विवाह, प्रशासन का ढीला रवैया इसके लिए जिम्मेदार हैं। एक चौथाई लड़कियां का आज भी कम उम्र में विवाह होता है इसके लिए रुढ़िवादी परम्पराओं के साथ समाज भी जिम्मेदार है। ऐसा कोई भी राज्य नहीं, जहां बाल विवाह नहीं होता है। बालश्रम पढ़ें- लिखे परिवारों में भी होता है।
यूनिसेफ के बाल अधिकार विशेषज्ञ पी.लोलीचेन ने बताया कि भेदभाव की प्रक्रिया बचपन से ही शुरू हो जाती है। जागरूक नागरिक होने के नाते हमें हर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए प्रयास करना चाहिए,क्या बालश्रम बच्चों के सपनों की हत्या नहीं है? बालश्रम अथवा बाल मजदूरी बच्चों की किलकारी में बहुत बड़ी बाधा है।बाल अधिकार विशेषज्ञ प्रशांत दुबे ने कहा कि बाल मजदूरी रोकने में हमारा भी बड़ा योगदान हो सकता है। हम हर उस दुकान,प्रतिष्ठान, संस्थान का परित्याग करें जहाँ बाल मजदूरी होती है ताकि उन्हें समझ आए कि उनसे कुछ गलती हुई है और वह अपनी गलती सुधारें।
*कला समीक्षक एवं निदेशक टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र श्री विनय उपाध्याय* ने कहा कि भाषा आपके पास नहीं है तो आपका व्यक्तित्व अधूरा है संसार में जब प्राणी जन्म लेते हुए किलकारी भरता है तो यह इस बात का प्रतीक है कि आप संसार में आ गए हैं,ध्वनि अमूल्य धरोहर की तरह हमें प्राप्त हुई है। समाजिक प्राणी होने के कारण हम सवेगों, अनुभवों एवं एहसासों में जीते है और भाषा के अलग-अलग रुप हमारी शख्सियत तय करते हैं,भाषा में हमारे भाव परिलक्षित होते हैं आज के समय में इसलिए साक्षारकर्ता अंकसूची के साथ बहुत कुछ टटोलना चाहता है। अच्छे वक्ता और संचालक होने के लिए आवश्यक है कि हम अच्छे वक्ताओं को बार- बार सुनें, शब्दों का चयन सही करें क्योंकि भाषा एक दिन की कमाई नहीं है।
नुक्कड़ नाटक एवं पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित- दस राज्यों के वालेंटियर्स के बीच ‘सुरक्षित बचपन’ विषय पर नुक्कड़ नाटक एवं पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें बालश्रम,असुरक्षित समाज एवं लैंगिक असमानता तथा बाल तस्करी की घटनाओं को उकेरते हुए नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बच्चों की मासूमियत को उजागर किया।
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