•मुख्यमंत्री कमलनाथ को भी एतराज नहीं
•प्रदीप जायसवाल
भोपाल, UPDATE/ जयहिन्द न्यूज़। मध्यप्रदेश के पश्चिम निमाड़ खरगोन जिले की खरगोन बड़वानी लोकसभा सीट पर तमाम दावेदारों के बीच एक चौंकाने वाला नाम सामने आया है। इस नाम पर मुख्यमंत्री कमलनाथ की भी मौन सहमति बताई जाती है। कांग्रेस के अंदरखाने की मानें तो गुजरात के दाहोद से 7 बार सांसद रहे और 2 बार विधायक रहे अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष सोमजी भाई डामोर की बेटी और राज्य के गृह एवं जेल मंत्री बाला बच्चन की धर्मपत्नी श्रीमती प्रवीणा बच्चन का नाम मजबूत दावेदारों में उभर कर सामने आया है।
खरगोन बड़वानी संसदीय सीट से टिकट मांगने वालों में खरगोन से महिला डॉक्टर रक्षा मुजाल्दे, वरिष्ठ आदिवासी नेता सिलदार पटेल, श्रीमती संगीता सिलदार पटेल, केदार डावर, बड़वानी जिले से पूर्व जिलाध्यक्ष सुखलाल परमार और दौलत वास्कले ने दावेदारी पेश की है। इसके अलावा डेढ़ दर्जन से ज्यादा दावेदार अपनी उम्मीदवारी के लिए एक्सरसाइज कर रहे हैं। बताते हैं कि मुख्यमंत्री कमलनाथ एक बार फिर इस सीट को कांग्रेस की झोली में करने के लिए श्रीमती प्रवीणा बाला बच्चन का नाम दिल्ली तक भी आगे बढ़ा रहे हैं। श्रीमती प्रवीणा बच्चन के नाम पर सहमति बनाने के लिए अरुण यादव, सचिन यादव, जिला अध्यक्ष और विधायक झूमा सोलंकी से भी रायशुमारी की जा रही है। इधर, UPDATE/ दैनिक जयहिन्द न्यूज़ से बाला बच्चन का कहना है कि पार्टी जो भी नाम तय करेगी, पूरी एकजुटता के साथ खरगोन बड़वानी लोकसभा सीट का चुनाव लड़ा जाएगा।
खरगोन लोकसभा सीट पर पहला चुनाव साल 1962 में हुआ. फिलहाल यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। यहां पर हुए पहले चुनाव में जनसंघ के रामचंद्र बडे़ को जीत मिली थी। हालांकि, अगले चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के एस बाजपेयी को जीत मिली। 1971 के चुनाव में रामचंद्र ने एक बार फिर वापसी की और कांग्रेस के अमलोकाचंद छाजेड़ को मात दी। बीजेपी को पहली बार इस सीट पर जीत 1989 में मिली और अगले 3 चुनावों में उसने यहां पर विजय हासिल की. कांग्रेस ने 1999 में यहां पर फिर वापसी की और ताराचंद पटेल यहां के सांसद बने. इसके अगले चुनाव 2004 में बीजेपी के कृष्णमुरारी मोघे जीते। 2007 में यहां पर उपचुनाव और कांग्रेस ने वापसी की. कृष्णमुरारी मोघे को इस चुनाव में हार मिली। 2009 में परिसीमन के बाद यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित हो गई। यहां पर पिछले 2 चुनावों में बीजेपी की जीत मिली है। यहां की जनता ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को बराबरी का मौका दी है।
फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है.सुभाष पटेल यहां के सांसद हैं। बीजेपी को यहां पर 7 चुनाव में जीत मिली है तो कांग्रेस को 5 चुनाव में जीत मिली है.
2014 के चुनाव में बीजेपी के सुभाष पटेल को 649354(56.34 फीसदी) वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस के रमेश पटेल को 391475(33.97 फीसदी) वोट मिले थे। आम आदमी पार्टी 2.71 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी। इससे पहले 2009 के चुनाव में बीजेपी के मकन सिंह सोलंकी को जीत मिली थी.उन्होंने का बालाराम बच्चन को हराया था. मकन सिंह सोलंकी को 351296(46.19 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं बालाराम बच्चन को 317121(41.7 फीसदी) वोट मिले थे। सीपीआई 4.19 फीसदी वोटों के साथ इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही थी। सुभाष पटेल ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता रमेश पटेल को करारी शिकस्त देते हुए 2 लाख 57 हजार 879 मतों से यहां जीत दर्ज की थी।
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