हां, श्री दिग्विजसिंह से बड़ा कोई हिंदूवादी नहीं….

हां,श्री दिग्विजसिंह से बड़ा कोई हिंदूवादी नहीं….राजधानी भोपाल में कांग्रेस के दिग्गज़ नेता व मंत्री श्री आरिफ़ अकील का यह कथन 100 टका सही है…वैसे यह भी सच है कि धर्म और धार्मिक आस्थाएं प्रदर्शन नहीं, धारण करने के लिए हैं।श्री दिग्विजयसिंह उन राजनेताओं में शुमार हैं,जिन्होंने धर्म-अपनी धार्मिक आस्थाओं को राजनीति व आर्थिक समृद्धि का माध्यम नहीं बनाया…उनके इस पराक्रमी अस्तित्व को लेकर वे अधर्मी ताकतें व विचारधारा बकवास करती हैं, जिन्होंने राम मंदिर के निर्माण,गंगा की सफ़ाई, नर्मदा सेवा यात्रा,एकात्म यात्राओं को अपनी राजनैतिक ताकत व आर्थिक समृद्धि का माध्यम बनाया है ! इसके विपरीत श्री दिग्विजयसिंह ने अपने मित्रों के सहयोग से मां नर्मदा के प्रति अपनी आस्थाओं के सैलाब को 3300 किलोमीटर पैदल चलकर (बिना किसी विमान,हेलीकॉप्टर,शासकीय वाहनों,व राजकीय कोष का दुरुपयोग कर)मां के चरणों मे समर्पित किया। अपनी पाखंडरहित वास्तविक धार्मिक साधना को उन्होंने राजनीति से कोसो दूर रखा।
श्री आरिफ़ अकील के उक्त कथन से सर्वाधिक फक्र मुझे इस बात का है कि श्री दिग्विजयसिंह को सच्चा हिंदूवादी वह राष्ट्रवादी मुसलमान नेता बता रहा है* *जिसने 14 अगस्त,1947 की अर्धरात्रि को जिन्ना के पाकिस्तान में रहने के बजाय गांधी के भारत को चुना,लिहाज़ा आरिफ भाई को भी सलाम*….
*विडंबना है कि श्री दिग्विजयसिंह के हृदय में व्याप्त सच्चे हिंदुत्व को वे अधिनायवादी,कथित राष्ट्रवादी ललकारते आये हैं,जिनका इतिहास आज़ादी के संग्राम से लेकर आज तक गद्दारी,झूठ-फ़रेब, हिन्दू आस्थाओं के नाम पर चंदाखोरी का साक्षी रहा है,ऐसे अधर्मी हिंदुत्व के कथित ठेकेदार आज किसी को भी हिन्दू होने का प्रमाणपत्र जारी करते हैं,तो बड़ा अफ़सोस होता है।भोपाल के चुनावी समर में श्री दिग्विजयसिंह और वास्तविक राष्ट्रभक्तों की फ़ौज़ (कांग्रेस) ऐसे नापाक इरादों वाले अलम्बरदारों के वास्तविक चरित्र को ध्वस्त करेगी……

के.के.मिश्रा

Pradeep Jaiswal

Political Bureau Chief