• इंदिरा गांधी ने चुनाव की बाजी खेली भी और जीती भी
•प्रदीप जायसवाल
भोपाल,UPDATE/ दैनिक जयहिन्द न्यूज़। आलोचना के बहाने, घृणा के बहाने, अपमान के बहाने, शिकायत के बहाने, चाहे कोसने के बहाने! मोदी,मोदी, मोदी और मोदी! पूरा देश कांग्रेस ने मोदीमय कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाम लिए बिना नामदार और कामदार के साथ अपना कैंपेन चलाते रहे। बस इतनी सी रणनीति बदली और कर दिया कांग्रेस का काम तमाम।
बेशक! कांग्रेस हार के कारणों पर मनभर कर चिंतन कर ले, मंथन कर ले, चाहे जैसा मनन कर ले पर मोदी को मात देने के लिए फिलहाल तो उसके पास कोई फार्मूला,सियासी औजार नहीं। मोदी ने खुद को मोदी साबित कर दिखाया। चौकीदार चोर है, को भी इवेंट बनाकर दिखा दिया! सुप्रीम कोर्ट में माफी भी मंगवा ली। रोड शो से लेकर चुनावी सभाओं तक प्रत्याशी का नाम लिए बिना, आएगा तो मोदी ही। जो कहा, सो कर दिखाया। मोदी जैसा विजन, मोदी जैसा रोडमैप, मोदी जैसी सोच और मोदी जैसा काम, मतलब मोदी की काट के लिए मोदी के ही फंडे। मतलब साफ है, जब तक कांग्रेस पीछे मुड़कर अपना ही इतिहास नहीं खंगालेगी तब तक उसे मोदी को मात देने वाला मैदानी अस्त्र मिलेगा ही नहीं। मोदी का मैजिक कोई नया नहीं, बस बात फार्मूले की है। इसे श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने जमाने में खूब एप्लाई किया और जन-जन का मन भी जीता। इंदिरा गांधी ने चुनाव की बाजी खेली भी और जीती भी। एंटी इनकंबेंसी को प्रो इनकंबेंसी में बदलने का जो माद्दा था,उसे हकीकत में कर दिखाया।
आज की कांग्रेस नेहरू और इंदिरा गांधी के इतिहास पर बीजेपी को घेरती जरूर है, पर इतिहास दोहराने की एक बड़ी चूक कर जाती है। इमरजेंसी के बाद भी इंदिरा सरकार की वापसी। ना कोई ईवीएम का मुद्दा, ना जनादेश पर सवाल। फिर भी जनता पार्टी सरकार की विदाई! मोदी के फंडों में कुछ तो ऐसी बात है, जो कांग्रेस नहीं समझ सकी पर लोग जरूर समझ गए। मोदी के लिए उमड़े जनभावनाओं के ज्वार में कांग्रेस सूखे पत्तों की तरह बह गई। कांग्रेस राफेल जैसे भारी-भरकम मुद्दों में उलझ कर रह गई। एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाती रही। खुद नए मुद्दे उठाने और भुनाने के बजाय पूरी तरह मोदी की पिछलग्गू हो गई। मोदी की काट तो ढूंढ नहीं सकी उल्टे खुद जनता से कट गई।
जैसे उनसे ज्यादा उम्दा कोई और नहीं!
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार क्या आई, चेहरे बदल गए। नए चेहरों पर सत्ता की ऐसी चमक, मानो उन्होंने ही अपने खून-पसीने से अब तक कांग्रेस को सींचा हो। दरकिनार कर दिए गए वे लोग जो कभी नींव के पत्थर हुआ करते थे। मंदिर की घंटियों से लेकर मस्जिदों की नमाज, गुरुद्वारे की अरदास और गिरिजाघरों की प्रेयर जब पूरी हुई तो भाग्य उन कंगूरो का खुला जो संघर्ष के साथ नहीं, सत्ता के साथ आ धमके। कमलनाथ की इतनी भारी-भरकम टीम! उसमें भी जनाधार वाले नहीं! राजनीतिक समझ ही नहीं, फिर भी ऐसा उपक्रम जैसे उनसे ज्यादा उम्दा कोई और नहीं!
खुशियां मनाएं पर इतराएं नहीं
मध्यप्रदेश में बीजेपी खुशियां तो खूब मनाए पर इस जीत पर इतराने का हक कम से कम मध्यप्रदेश के नेताओं को तो नहीं। देश नहीं, दुनिया जानती है, यह जीत सिर्फ मोदी और मोदी की है। यह मोदी मैजिक है। वरना, हार तो हार होती है। जो जीता वही सिकंदर। एमपी बीजेपी पहले अपना घर संभाले फिर कांग्रेस पर उंगली उठाए।updatempcg.com
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