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दैनिक जयहिन्द न्यूज़
भोपाल। कांग्रेस प्रवक्ताओं के लिए सुबह-सुबह दिल्ली से एक फरमान आया। अब मीडिया डिबेट में शामिल नहीं होना है। कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा ज़ी न्यूज़ पर डिबेट में शामिल थे और फरमान मिलते ही ब्रेक के बाद डिबेट छोड़कर चले गए। पहले देशभर में यह रोक तीन बड़े चैनलों आर.भारत, टाइम्स नाउ और जी. न्यूज़ पर थी। अब पूरे 1 महीने तक सभी न्यूज़ चैनलों पर जिनमें डिबेट होती है, कांग्रेस प्रवक्ता पार्टी का पक्ष रखने के लिए मौजूद नहीं रहेंगे। कारण तो एआईसीसी जाने, लेकिन कयास और अटकलबाजी तो शुरू हो ही गई है।
दरअसल, राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में करारी हार के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर बने रहना ही नहीं चाहते हैं। अपना इस्तीफा सौंपने के बाद बड़ी मान-मनोव्वल के कारण सिर्फ 1 महीने का समय पार्टी को दिया है कि वह अपना नया अध्यक्ष खोज ले। जाहिर है, इस बीच राहुल गांधी का कांग्रेस विकल्प ढूंढ लेगी या फिर उन्हें मना लेने में सफल हो जाएगी। तब तक तमाम राज्यों समेत मध्यप्रदेश में भी नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की ताजपोशी संभव नहीं है। राहुल गांधी ही राष्ट्रीय अध्यक्ष रहेंगे या फिर पार्टी की कमान कोई नया चेहरा संभालेगा, यह तस्वीर ही साफ नहीं होगी, तब राज्यों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बदले जाने की प्रक्रिया स्वाभाविक रूप से थमी रहेगी।
जिसे जो कहना हो कहे, हम तो…
अब यह अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि कांग्रेस ने न्यूज़ चैनलों से डिबेट से किनारा इसलिए कर लिया, ताकि नए अध्यक्ष तक बार-बार उन्हें संगठन को लेकर मीडिया के सवालों पर असहज नहीं होना पड़े। मोदी की गोदी मीडिया कहने वाली कांग्रेस कम से कम 1 महीने तो अब राहत के साथ यह कह सकती है कि जिसे जो कहना हो कहे, हम तो डिबेट में शामिल ही नहीं हैं।
अधिकृत प्रवक्ता ही दे सकेंगे बाइट
मध्यप्रदेश के संदर्भ में बात की जाए, तो यहां कांग्रेस के एक सैकड़ा प्रवक्ता हैं। ज्यादातर बिना तैयारी के डिबेट में बैठकर हवा-हवाई बातें करते हैं। अब एक महीने में पार्टी की और भद्द ना पीटे, इसलिए एआईसीसी ने एमपी में जो 16 प्रवक्ता अधिकृत किए हैं, अब वही केवल न्यूज़ चैनलों को अपनी बाइट दे सकेंगे। किसी अन्य प्रवक्ता ने बाइट दी, तो इस पर पार्टी अपनी आपत्ति जताकर उस प्रवक्ता को भी कड़ी फटकार लगाएगी। माना जा रहा है कि कांग्रेस ने विवादास्पद बयानबाजी बंद करने के लिए यह ऐतिहासिक कदम उठाया है। इससे पहले इस तरह का फरमान कभी जारी नहीं हुआ कि तमाम न्यूज़ चैनलों पर डिबेट में शामिल होने पर रोक लगा दी गई हो।
रोक के बावजूद रास्ता किया आसान
एआईसीसी ने जिन तीन राष्ट्रीय न्यूज़ चैनलों पर डिबेट में शामिल होने पर रोक लगा रखी है, उनमें पिछले कुछ समय से ज़ी न्यूज़ पर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रवक्ता सक्रिय नजर आ रहे हैं। बताते हैं कि दिल्ली से तो रोक है, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री इस चैनल के कार्यक्रम में शामिल हुए तो प्रवक्ताओं ने डिबेट में शामिल होने का अपना रास्ता खुद ही आसान कर लिया।
फजीहत कराने में ये भी पीछे नहीं
दिल्ली ने भले ही पूरे देश में डिबेट में शामिल होने पर रोक लगा दी हो, लेकिन मध्यप्रदेश में कांग्रेस के उन वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों पर अभी तक रोक नहीं लगी है, जो आए दिन विवादास्पद बयान देकर पार्टी की फजीहत कराने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हालांकि, कमलनाथ सरकार ने इसके लिए 7 सरकारी प्रवक्ताओं की नियुक्ति भी की, जिनमें सात मंत्रियों को इसका जिम्मा दिया गया है। फिर भी हर मुद्दे पर कुछ ऐसे मंत्री हैं जो सुर्खियों में रहने के लिए अपनी बयानबाजी से गुरेज नहीं कर रहे हैं।
पहली प्रतिक्रिया के. के. मिश्रा की
अ.भा.कांग्रेस द्वारा देशभर के सभी पार्टी प्रवक्ताओं को आगामी एक माह तक समाचार चैनलों पर किसी भी राजनैतिक बहस में शिरकत नहीं किये जाने को लेकर लिया गया निर्णय स्वागतयोग्य, ” पत्रकार-दिवस का उपहार “…मैंने तो पिछले 3 सालों से इसीलिए ऐसी निरर्थक,पक्षपातपूर्ण बहसों से किनारा कर लिया था,आने वाला वक्त और भी अधिनायकवादियों को समर्पित रहेगा!
•के.के.मिश्रा, पूर्व मुख्य प्रवक्ता प्रदेश कांग्रेस
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