सनावद नगर पालिका जल संरक्षण को लेकर बेपरवाह

सनावद खरगोन श्याम कुमार जोशी UPDATE//दैनिक जयहिन्द न्यूज़। जल संरक्षण के लिए न तो नगर पालिका प्रशासन गंभीर है और न ही भवन निर्माता। जल संरक्षण के लिए शासन द्वारा 2004 में एक्ट लागू कि या गया था। इसके तहत 2009 से नए भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया गया था, लेकि न जागरुकता के अभाव में शासन के नियम को दरकि नार किया जा रहा है। इतना ही नहीं इसके लिए नगर पालिका में जमा हजारों रुपए की अमानत राशि को भी छोड़ा जा रहा है, वहीं नपा प्रशासन भी इसको लेकर उदासीनता बरत रहा है। ऐसे में न तो जल संरक्षण हो पा रहा है और न ही शासन के नियम का पालन। हालात यह है कि नगर पालिका की दुकाने भवन सहित दर्जनों शासकीय कार्यालय सहित कालोनाइजर्स व भवन स्वामी इसमें रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
गिरता भूमिगत जल स्तर अब चिंता का विषय बनता जा रहा है। बीते पांच साल के आंकड़ों पर गौर करें तो नगर का भूमिगत जल स्तर 30 से 50 मीटर नीचे जा चुका है। इसकी मुख्य वजह बेतहाशा जल दोहन को माना जा रहा है। जानकारों की मानें तो भूमिगत जल स्तर को बनाए रखने के लिए वर्षा के जल को संचय करने की जरुरत महसूस की गई। इसी को आधार मानकर अक्टूबर 2004 को शासन द्वारा एक्ट लागू किया, जिसके अनुसार जल संरक्षण के लिए नए भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य कि या गया, लेकि न शासन द्वारा 2009 में नियम बनाने के बाद भी जल संरक्षण के लिए न तो सनावद नगर पालिका गंभीर है और न ही भवन निर्माता। इसके चलते लोग नए भवनों में हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना जरुरी नहीं समझते। साथ ही जागरुकता के अभाव में शासन के नियम को दरकिनार कि या जा रहा है। बताया जाता है कि इस नियम के तहत नगर पालिका में सिस्टम को लगाने के नाम पर बकायदा अमानत राशि जमा कराई जाती है, जिसको हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के बाद लौटा दी जाती है। इस अमानत राशि को भी लोग रिलीज कराने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इससे नपा का राजस्व तो बढ़ा है, लेकि न शासन के नियम बेकार हो गए हैं। UPDATE/दैनिक जयहिन्द न्यूज़ द्वारा मुद्दा उठाने पर फिलहाल इस मामले में जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और अफसरों ने चुप्पी ही साधे रखी।

अधिकांश लोग नहीं लेते निर्माण की अनुमति
रुफ वाटर हार्वेस्टिंग को नगर पालिका ने जरुर लोगों को मकान निर्माण की अनुमति लेने पर अनिवार्य कर दिया है। जबकि दूसरी तरफ सैकड़ों मकान बिना अनुमति के बनाए जा रहे हैं। मकान निर्माण की अनुमति वहीं लोग लेते हैं जिन्हें बैंक आदि संस्थाओं से लोन लेने की आवश्यकता पड़ती है। यही कारण है पिछले एक साल में सैकड़ों भवन बन गए, लेकिन लोगों ने नपा से एनओसी ली है। इससे नपा को करोड़ रुपए की राजस्व हानि हुई है, वहीं तेजी से जल संकट भी गहरा रहा है।

अमानत राशि, बना कमाई का जरिया

नगर पालिका में जब भी मकान निर्माण की अनुमति दी जाती है उसके नियमानुसार 1500 वर्ग फीट के उंचे भवन में लगाना अनिवार्य कि या जाता है। इसके लिए नगर पालिका मकान निर्माण की अनुमति लेने वाले व्यक्ति से 3 से 7 हजार रुपए की राशि जमा कराती है। जिसे वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के बाद वापस लौटाती है, लेकि न हालत यह है कि जिन्होंने सिस्टम लगाया या नहीं लगाया नपा के सब इंजीयर को निरीक्षण करने तक की फु र्सत नहीं है, वहीं भवन स्वामी द्वारा हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाया जाता है, तो नपा प्रशासन को लोग द्वारा जमा कराई गई राशि से उनके घरों पर यह सिस्टम लगवाना था, लेकि न निगम प्रशासन भी लोगों के यहां सिस्टम निर्माण में रुचि नहीं दिखाकर इस नियम को अपनी कमाई का जरिया बना लिया है।

प्रशासन भी भूला नियम

शासन द्वारा बनाए गए नियम को प्रशासन भी अब भूल चुका है। पालिका प्रशासन लोगों से सिस्टम को लगाने अमानत राशि को जमा करने के बाद ना तो भवन निर्माता पर दबाव बनाता और न ही जांच ही करता है। ऐसे में इस नियम को कड़ाई से पालन कराने में कि सी की भी रुचि नहीं दिखाई दे रही है, जिसके कारण कोई भी लोग रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को घरों में लगाने में रुचि नहीं दिखाते हैं।

सरकारी भवनों में भी नहीं लगा

आरटीआई एक्टिविस्ट दिनेश पाटनी अनुसार सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो तहसील सनावद क्षेत्र में करोड़ों रुपए के शासकीय योजनाओं में भवन निर्माण किए गए है। इसका निर्माण पीडब्ल्यूडी व आरईएस द्वारा किया गया है। खास बात यह है कि सरकारी भवनों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया नहीं जा रहा है। जबकि इन भवनों में सिस्टम का निर्माण करना एक्ट में जरुरी बनाया गया है। ऐसे में सरकारी भवनों पर सिस्टम लगाने में कोताही बरती जा रही है, तो निजी भवन मालिकों पर दबाव बनना संभव नहीं दिखता है। हालात यह है करोड़ों रुपए की लागत से बने उप पंजीयन कार्यालय, हाल ही में तहसील भवन, सामुदायिक भवन सहित अन्य शासकीय कार्यालयों में वाटर हार्वेस्टिंग नहीं किया गया है। खास बात तो यह है कि नगर पालिका ने खुद भी अपने भवन तथा स्वामित्व की दुकानों पर वाटर हार्वेस्टिंग नहीं कराई है।

वाटर हार्वेस्टिंग, लोगों को जानकारी नहीं

इंजीनियरों व वाटर हार्वेस्टिंग के जानकारों के अनुसार रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए सबसे पहले जमीन में से 5 फीट चौड़ा और 6 से 10 फीट गहरा गड्डा खोदना होगा। खुदाई के बाद इसमें सबसे नीचे मोटे पत्थर, कंकड़, बीच में मध्यम आकार के पत्थर, रोड़ी और सबसे ऊपर बारीक रेत या बजरी डाल दी जाती है। यह सिस्टम फिल्टर का काम करता है। छत से पानी एक पाइप के जरिए गड्ढे में उतार दिया जाता है। गड्ढे से पानी धीरे-धीरे छनकर जमीन के भीतर चला जाता है। इसी तरह फिल्टर के जरिए पानी को टैंक में एकत्रित कि या जा सकता है। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने में लोगों को खुद खर्च करना होता है। कई लोगों को पता नहीं होता यह कि ससे करवाएं। एक हजार वर्गफीट में दो से चार हजार खर्च कर कोई भी यह सिस्टम लगवा सकता है।updatempcg.com

Pradeep Jaiswal

Political Bureau Chief