गोवर्धन पर्वत की पूजा कर श्रीकृष्ण ने दिया पर्यावरण की रक्षा का संदेश

भोपाल, UPDATE/दैनिक जयहिन्द न्यूज़। रविशंकर बोर्ड कॉलोनी चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस गोवर्धन भगवान का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। भगवान गिरिराज को छप्पन भोग सजाए गए। गोवर्धन कथा का वर्णन करते हुए शास्त्री जी ने बताया कि जब इंद्र को अपनी सत्ता का अभिमान हो गया तब इंद्र का अभिमान नष्ट करने के लिए श्री कृष्ण ने इंद्र की पूजा त्यागकर, सभी बृजवासियों से गिरिराज पर्वत की पूजा कराई। मानो भगवान ने संदेश दिया कि प्रकृति की हम रक्षा करेंगे तो प्रकृति, प्राकृतिक आपदाओं से हमारी रक्षा करेगी। वर्तमान में प्रकृति का दोहन तो बहुत मात्रा में हो रहा है परंतु पर्यावरण की रक्षा हेतु कम प्रयास किए जा रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में पांच वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए । एक वृक्ष लगाने का ही शास्त्रों में अनंत गुना पुण्य बताया गया है । गिरिराज पर्वत की पूजन होते देख जब इंद्र ने प्रलयंकारी मेघों को बरसने का आदेश दिया तो मेघों ने आकर बृज में घनघोर वर्षा की । फिर भगवान ने गिरिराज पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर धारण करके सभी बृज वासियों की रक्षा की । इससे पहले शास्त्री ने हनुमान की बाल लीलाओं में माखन चोरी, मां यशोदा और नंदलला के बीच कई प्रसंगों का वर्णन किया। कालिया उद्धार तथा गोपियों द्वारा यशोदा से कन्हैया की शिकायतों एवं ग्वाल सखाओं आदि लीलाओं का विस्तार से वर्णन सुनाया। मुख्य यजमान राकेश शर्मा तथा महामंडलेश्वर संत आचार्य शेखर (विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य) ने व्यास गांधी की पूजा की। कथा में मध्यप्रदेश शासन के मंत्री श्री पीसी शर्मा, युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक कुणाल चौधरी, ब्राह्मण एकता अस्मिता मंच के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी, श्रद्धा पांडे, पार्षद मोनू गोहल, गुड्डू चौहान सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तगण उपस्थित थे।

Pradeep Jaiswal

Political Bureau Chief