‘बहीखाता’ पर पीठ थपथपाना हास्यास्पद : शोभा ओझा

मोदी सरकार द्वारा प्रस्तुत केन्द्रीय बजट से साबित हो गया है कि आर्थिक कुप्रबंधन का फेल ‘मोदी माॅडल’ आगे भी जारी रहने वाला है

भोपाल UPDATE/ दैनिक जयहिन्द न्यूज़।

मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग की अध्यक्षा श्रीमती शोभा ओझा ने कहा कि मोदी सरकार की वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन द्वारा पेश किया गया केन्द्रीय बजट, जिसे उन्होंने ‘बहीखाता’ कहा है, वह घोर निराशाजनक है, यही नहीं पिछले पांच वर्षों की असफलता के बावजूद सरकार द्वारा अपनी पीठ थपथपाना भी हास्यास्पद है। पिछले पांच वर्षों में शून्य नौकरियां, शून्य निवेश और शून्य विकास के आर्थिक कुप्रबंधन का फेल ‘मोदी माॅडल’ आगे भी जारी रहने वाला है, यह इस अमीर हितैषी बजट के बाद साफ हो गया है। गरीब, किसान, महिलाओं, युवाओं, मध्यम वर्ग सहित देश के सभी तबकों के लिए, इस बजट ने भविष्य की सभी उम्मीदें समाप्त कर दी हैं।
आज जारी अपने वक्तव्य में श्रीमती ओझा ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 भी अर्थव्यवस्था के संबंध में निराशावादी दृष्टिकोण ही प्रस्तुत कर रहा है। गरीबी और बेरोजगारी जैसी बड़ी समस्याओं से निपटने के लिए भी आर्थिक सर्वेक्षण में कोई स्पष्ट रोडमैप जारी नहीं किया गया है, जबकि पिछले 45 साल की सर्वाधिक बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत से देश जूझ रहा है और बेरोजगारी पर एन.एस.एस.ओ. की इस रिपोर्ट को, जिसको सरकार चुनाव के पहले तक छिपाती आ रही थी, उसने भी अब मान लिया है।
श्रीमती ओझा ने कहा कि एक ऐसे समय में जब देश के कार्यबल में 4.7 करोड़ की कमी आई है, 3.7 करोड़ आकस्मिक श्रमिकों और 3 करोड़ कृषि मजदूरों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा है, तब भी केन्द्र सरकार का बेरोजगारी के मुद्दे पर इस तरह उदासीन और अकर्मण्य बने रहना, देश के सम्मुख चिंताएं पैदा करता है। आर्थिक सर्वेक्षण में यह कहा गया है कि सन् 2020 के लिए सकल घरेलू उत्पाद बढ़ कर 7 प्रतिशत हो जाएगा लेकिन इसके लिए कोई ठोस आधार प्रस्तुत नहीं किया गया है। आर्थिक विकास भी पिछले 5 वर्ष के निम्नतम स्तर पर है। किसानों की बढ़ती आत्महत्या भी देश के लिए चिंताजनक है। गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों में क्रेडिट संकुचन 31 प्रतिशत है, जिसके कारण भी आॅटोमोबाइल, कृषि और एम.एस.एम.ई. क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं।

श्रीमती ओझा ने आगे कहा कि यू.पी.ए. सरकार के समय में जो निर्यात दर 393 प्रतिशत थी, वह मोदी सरकार के कार्यकाल में घट कर 26 प्रतिशत रह गई है, यानी यू.पी.ए. सरकार की तुलना में निर्यात में लगभग 15 गुना कि गिरावट दर्ज हुई है। मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्मार्ट सिटीज की योजनाएं या तो धरातल पर पूरी तरह से उतरी नहीं या उनकी फाइलें कहीं सरकारी कार्यालयों में धूल खा रही हैं। मोदी जी की तमाम घोषणाओं की तरह उक्त योजनाएं भी पिछले 5 वर्षों में जुमला ही साबित हुई हैं। यह कहना भी एक जुमला ही है कि हमने सूटकेस की बजाय ‘बहीखाते’ के रूप में बजट प्रस्तुत कर अंग्रेजों की परंपरा तोड़ी है, अगर अंग्रेजों की समर्थक रही विचारधारा की वर्तमान वित्तमंत्री, अंग्रेजों की परंपरा तोड़ने के प्रति इतनी ही प्रतिबद्ध थीं तो उन्हें बजट को अंग्रेजी की बजाय हिन्दी में प्रस्तुत करना था।
श्रीमती ओझा ने अपने बयान के अंत में कहा कि बजट पेश करते ही पेट्रोल-डीजल के दामों में 2 रूपये की वृद्धि होने जा रही है। जिसका असर सभी रोजमर्रा की वस्तुओं पर पड़ने जा रहा है, लिहाजा देश में मंहगाई का और बढ़ना भी सुनिश्चित है। आर्थिक सर्वेक्षण भी यह दर्शा रहा है कि मोदी सरकार द्वारा देश पर थोपी गई गहन आर्थिक अनिश्चितताओं और कुप्रबंधन के कारण देश में आगे भी आर्थिक संकट का दौर जारी रहने वाला हैै। कुल मिलाकर मोदी सरकार के द्वारा प्रस्तुत पूर्व के बजटों की तरह, यह जुमला बजट भी देश के लिए निराशाजनक है और इसे देश के भविष्य के लिए किसी भी दृष्टिकोण से उत्साहवर्धक नहीं कहा जा सकता।updatempcg.com

Pradeep Jaiswal

Political Bureau Chief