जोशी जी की वैचारिकी औऱ दीपक का जाना

Bhopal UpdateMPCG News Network. भारतीय संस्कृति में स्वाभिमान एक अति विशिष्ट महत्व है जो समस्त जीवों और मनुष्य के बीच के भेद को भी स्थापित करता है। पशु पक्षी हों अथवा जलचर और कीट पतंगे, इन्हें केवल अपनी क्षुधा शांत करने और जीवित बने रहने के लिए ईश्वर द्वारा बल बुद्धि प्रदत्त किए गए हैं। एक बड़े वर्ग की धारणा है की मनुष्यों के सिवाय अन्य जीवो में बुद्धि,विवेक नहीं होते हैं अतः यह स्पष्ट कर देना मैं अपना दायित्व समझता हूं कि वह बुद्धि ही है जो पशु को उसकी मर्यादा में जीने और प्रकृति द्वारा नियत किए गए आहार को ही ग्रहण करने को प्रेरित करती है। सिवाय मनुष्य के, शेष सभी जीव लाड़, प्यार दुलार और मनुष्य द्वारा प्रदत्त संरक्षण के भाव को तो समझते हैं।लेकिन इनमें मान सम्मान अथवा स्वाभिमान का बोध नहीं होता। कई बार डांट, मार और दुत्कार भी सहन करते हैं, किंतु फिर भी आवांछनीय व्यवहार करने वाले मनुष्य के आश्रय पर निर्भर बने रहते हैं। स्वयं मनुष्य में ऐसा नहीं होता। क्योंकि ईश्वर ने उसे बल और बुद्धि के साथ विवेक भी प्रदान किया है। यही वजह है कि “मनुष्यता” का भान रखने वाला मनुष्य भूखा रह लेगा, किंतु अपमान नहीं सहेगा और अपने स्वाभिमान को लेकर कभी समझौता नहीं करेगा। विशेष रुप से समाज के आदर्श मार्गदर्शक वर्ग में यह वैशिष्ट्य कूट कूट कर भरा होता है। यही वजह है कि समूचा समाज ऐसे आदर्श व्यक्तियों का केवल सम्मान ही नहीं करता, बल्कि उनके पद चिन्हों पर चलने का प्रयास भी करता है। मध्य प्रदेश की राजनीति में ऐसी ही एक विभूति स्वर्गीय कैलाश जोशी हुए हैं। जनसंघ के संस्कारों में ढले फिर भाजपा के संस्थापकों में शुमार रहे पंडित जोशी जीवन पर्यंत संघर्षरत तो रहे ही साथ ही मूल्यनिष्ठ सार्वजनिक जीवन से उन्होंने वैचारिक रूप में कभी समझौता नही किया। उन्होंने भाजपा को मूल्यों के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा भी दी।खास बात यह कि बदले में पार्टी से कुछ मिल जाए, ऐसी अपेक्षा कभी नहीं की। पार्टी की आन बान और उसका स्वाभिमान ही जीवन पर्यंत स्वर्गीय जोशी जी का प्रण बना रहा। वे कहते थे कि लोकतंत्र की हत्या करने वाली कांग्रेस द्वारा प्रदत्त ऐश्वर्य वैभव भोगने से अच्छा है व्यक्ति आत्महत्या कर ले। उन्होंने कांग्रेस द्वारा आम आदमी पर किए गए अत्याचार को केवल महसूस ही नहीं किया। बल्कि उसे प्रत्यक्ष रुप से भुगता भी था। जब पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश पर आपातकाल थोपा तो स्वर्गीय कैलाश जोशी प्रथम पंक्ति के उन नेताओं में शुमार रहे, जिन्होंने कांग्रेस की ओर से प्रस्तावित ऐश्वर्य, वैभव, पद, प्रतिष्ठा के प्रलोभनों को ठुकरा कर जेल में निरुद्ध रहना पसंद किया। जब तक आपातकाल हट नहीं गया और कैलाश जोशी जैसे मूल्यनिष्ठ नेता अपने सिद्धांतो पर अडिग रहे।अमानुषिक परिस्थितियों वाला कारागार भोगा।मध्यप्रदेश में आप कांग्रेस की जनविरोधी नीतियों का प्रतीक बने और यहां के मुख्यमंत्री पद को सुशोभित किया। जब 1984 में कांग्रेस द्वारा प्रायोजित दंगे हुए। सिख भाइयों को ईंधन की तरह जलाया गया, उनकी हत्याएं की गईं। तब भी उस राजनीतिक, सामाजिक और मानवीय पाप के विरोध की कमान भाजपा नेता कैलाश जोशी जैसे स्वाभिमानी नेता ही थामे रहे। ऐसे कैलाश जोशी जो जीते जी पूरी मजबूती के साथ कांग्रेस की ओर पीठ किए रहे। ऐसे प्ररेक नेता की तस्वीर एक ऐसे व्यक्ति के हाथ उन्हीं के पुत्र द्वारा सौंपी गई, जिसका नाम 84 के दंगों में सिखों की हत्या करने और करवाने वाले आरोपियों में शुमार माना जाता है।संभव है तात्कालिक परिस्थितियों के चलते भाजपा आलाकमान की ओर से दीपक जोशी की किंचित मात्र अनदेखी हो गई होगी। निसंदेह उनके व्यक्तिगत हितों को आघात भी पहुंचा होगा। लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि हम अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित नीतियों और सिद्धांतों को भी तिलांजलि दे बैठें तथा ऐसे लोगों के गिरोह में आश्रय ले लें, जिन पर हमारे पूर्वजों के स्वाभिमान को कुचलने के असफल प्रयास करने का पाप चस्पा है। दीपक जोशी केवल इसलिए अपने पिता की मातृसंस्था का त्याग कर दें, क्योंकि उन्हें पिछले चुनाव में अपने पसंद के विधानसभा क्षेत्र से टिकट नहीं मिला और उस दल की शरण में चले जाएं, जिसका उनके पिता मृत्यु पर्यंत विरोध करते रहे, मैं इससे कतई इत्तेफाक नहीं रखता। उनके इस कृत्य की जितनी भी निंदा की जाए कम है।
स्वर्गीय कैलाश जोशी आज एक पुण्यात्मा के रूप में जहां भी स्थापित हैं और यदि अपने पुत्र के इस कृत्य को देख पा रहे हैं, उनकी आत्मा थरथरा रही होगी। उनका मन चीत्कार रहा होगा। वे अपने पुत्र से अवश्य ही यह सवाल कर रहे होंगे कि मेरे पालन पोषण और संस्कारों में ऐसी कौन सी कमी रह गई, जो “मेरे पुत्र तू मुझे वहां लेकर चला गया, जिनके हाथ का स्पर्श किया हुआ अमृत भी कभी मुझे स्वीकार ना था। बस यही प्रण दोहरा सकता हूं कि हमारे पथ प्रदर्शक और भाजपा की मजबूत बुनियाद में अपने को खपा देने वाले संत स्वरूप स्वर्गीय कैलाश जोशी जी द्वारा स्थापित मूल्यों को हम कभी कमजोर नहीं पड़ने देंगे। अपने षड्यंत्रकारी प्रयत्नों से भले ही कांग्रेस ने उनके पुत्र का मन मस्तिष्क हर लिया हो और हमारे पथ प्रदर्शक की तस्वीर हथिया ली हो, वे उन मूल्यों और सिद्धांतों को बलात् कभी नहीं छीन पाएंगे जो श्री कैलाश जोशी भाजपा में स्थापित कर गए हैं।
( लेखक स्तंभकार एवं बाल आयोग के पूर्व अध्यक्ष हैं)
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@JAIHIND NEWS Hindi Daily

Pradeep Jaiswal

Political Bureau Chief

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