सीएम मोहन ने संकटमोचक कैलाश विजयवर्गीय को किया याद


भोपाल के काले अध्याय में शामिल गैस त्रासदी जिसको लगभग 40 वर्ष हो चुके हैं, उसका जहरीला कचरा जो यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री में रखा हुआ था, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मोहन सरकार ने कदम उठाते हुए उसे जहरीले कचरे को पीथमपुर की रामकी फैक्ट्री में भेजा है। भोपाल से 12 कंटेनर में यह जहरीला कचरा निस्तारण के लिए पीथमपुर पहुंचाया गया। पीथमपुर में स्थानीय जनप्रतिनिधि और लोग इसका भारी विरोध कर रहे हैं। ऐसे में सरकार ने अपने सबसे वरिष्ठ मंत्री और संकट मोचक कैलाश विजयवर्गीय को स्थानीय जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर उन्हें निस्तारण प्रक्रिया में सरकार क्या सुरक्षित कदम उठा रही है, उससे अवगत करने के जवाबदारी दी है। सरकार ने निस्तारण की प्रक्रिया को नीरी, एनजीआरआई, आईआईसीटी, सीपीसीबी जैसे जानी-मानी संस्थाओं की निगरानी में पूरा कराया है। वर्ष 2013, 2014, 2015 में पीथमपुर में तीन सफल ट्रायल रन हुए थे और इससे पर्यावरण के क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पाए गए थे। पूर्व में 12 साल पहले जब इस जहरीले कचरे का निस्तारण के लिए सरकार कदम उठा रही थी तो इसी तरह कुछ जनप्रतिनिधि, चंद लोग अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए आगे आए थे। साथ में कुछ एनजीओ ने उस समय इसका विरोध किया था जिसके परिणाम स्वरूप निस्तारण की योजना धरी रह गई थी और आज तक उस जहरीले कचरे का निस्तारण नहीं हो पाया था जबकि जर्मनी की कंपनी इस जहरीले कचरे को जर्मनी में ले जाकर नष्ट करने वाली थी। साथ ही मात्र 25 करोड़ रुपए में इस जहरीले कचरे का निस्तारण हो जाता। आज सरकार को इस जहरीले कचरे के निस्तारण के लिए 126 करोड़ लग रहे हैं। धरती को बचाने के लिए और पर्यावरण की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानते हुए सभी सुरक्षा मापदंडों को अपनाते हुए सरकार इस जहरीले कचरे का निस्तारण करा रही है। कंपनी सभी सुरक्षा मानकों को मानते हुए इसका निस्तारण कर रही है और जहरीले कचरे के निस्तारण के बाद बची राख को सुरक्षित कैप्सूल बनाकर जमीन में कंक्रीट के बीच दफन किया जाएगा जिससे भविष्य में भी पानी के साथ वह कचरा बाहर नहीं आ पाएगा। सीएम डॉ मोहन यादव ने भी आश्वासन दिया है कि जनता की हर शंका को दूर करने के बाद ही कचरे को नष्ट किया जाएगा क्योंकि कचरा निपटान ही एकमात्र विकल्प है। विगत कई वर्षों से जो जहरीला कचरा यूनियन कार्बाइड की जमीन, गोदाम में रखा हुआ था उसमें कचरे का हानिकारक प्रभाव बड़ी मात्रा में समाप्त हो गया है। कचरे में अब 60% मिट्टी और और 40% में नैफ्थॉल कीटनाशक के बनाने की प्रक्रिया का सा उत्पाद है जिसे विशेषज्ञ मानते हैं कि इसका विषैला प्रभाव 25 साल में खत्म हो जाता है। इसके बावजूद स्थानीय जनप्रतिनिधियों को पूरी सुरक्षा, प्रक्रिया, सभी वैज्ञानिक जांचों के बारे में बताने के लिए सीएम मोहन ने अपने सबसे भरोसेमंद और कद्दावर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को जवाबदारी सौंपी है।
पूर्व में सदन में भी सरकार के पक्ष में पूरी ताकत से कैलाश विजयवर्गीय खड़े दिखाई दिए। विभिन्न विषयों पर ढाल की तरह और अब इस विरोध को भी शांत कर कोई न कोई रास्ता कैलाश विजयवर्गीय निकाल लेंगे हमेशा की तरह। इस विषय में बैठक कर कैलाश विजयवर्गीय अगाज कर दिया है…
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