UPDATE MPCG… भोपाल ब्यूरो लक्ष्मी स्वरूपा बहू चाहिए तो दहेज के दानव से बचें : देवकीनंदन ठाकुर

हजारों लोगों के साथ सामूहिक हनुमान चालीसा करेंगे देवकीनंदन ठाकुर
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जीव हत्या भी आतंकवाद: देवकीनंदन ठाकुर
सनातन को बचाने संस्कारों से जुड़ें
श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर झूम उठे श्रद्धालु
नर्क से बचने का एकमात्र सरल तरीका है भगवत भजन

भोपाल Update News Network. मां अपने आंचल से दो-चार साल दूध पिलाती है, लेकिन गौमाता जब तक हम मर ना जाए तब तक अपने आंचल का दूध देती है – पूज्य श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी महाराज

शांतिदूत धर्मरत्न देवकीनन्दन ठाकुर महाराज ने श्रद्धालुओं से दहेज बचने की अपील की है। उन्होंने सभी सनातनियों से अपील की है कि अपने बेटे बेटियों के विवाह में दहेज से बचें और दहेज विहीन विवाह करें। दहेज के लालचियों को सुयोग्य और घर की सेवा करने वाली बहू नहीं मिलती हैं। जो अपने बेटे के लिए दहेज लेता है वह अपने बेटे को हस्बैंड नहीं सर्वेंट बना देता है। लक्ष्मी स्वरूपा बहू चाहिए तो दहेज में लक्ष्मी नहीं मांगो। बच्चियों के पिता को चाहिए कि वह समझे जो अपने बेटे को बेच सकता है वह आपकी बेटी को कैसे खुश रख सकता है।
उन्होंने लोगों से जीव हत्या और मांसाहार से बचने का भी आवाहन किया है। उन्होंने कहा कि हिंसा करना ही आतंकवाद नहीं है किसी जीव को मारना और उसे खाना भी आतंकवाद ही है। महाराज श्री ने लोगों से कहा कि नरक से बचने के लिए दर्शन श्रवण और वचन पर ध्यान दें। हनुमान जयंती पर गुरुवार को महाराज श्री देवकीनंदन ठाकुर हजारों लोगों के साथ सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे साथ ही युवाओं को हनुमान जी के प्रबंधन से जीवन में आगे बढ़ने के गुरु मंत्र भी देंगे।

महाराज श्री के पावन सानिध्य में विश्व शांति सेवा समिति, भोपाल एवं मध्य प्रदेश भाजपा मंत्री राहुल कोठारी के तत्वावधान में भोपाल, मध्य प्रदेश में 2 से 8 अप्रैल तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है।
बुधवार को श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की शुरूआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। जिसके बाद पूज्य महाराज श्री ने सभी भक्तगणों को “मीठे रस से भरियो रे राधा रानी लागे” भजन श्रवण कराया। कथा के चौथे दिन जैसे ही भगवान श्री कृष्ण जन्म उत्सव मनाया गया। श्रद्धालुओं से भरे पंडाल में हर व्यक्ति झूम उठा।

महाराज देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि जो भगवान के मंगल में सम्मिलित होता है, उसके जीवन में नित्य मंगल होता है। उसके सारे अमंगलों का नाश होता है। सनातनी अगर अपनी परंपरा का निर्वहन नहीं करेंगे, तो हमें बचाना वाला कोई नहीं होगा। हमारी जो आदत है दूसरों की नक़ल करने की ये बहुत बुरी आदत है। सनातनी धर्म में जन्मदिन पर कैंडल जलाने की रीत नहीं है बल्कि दीपक जलाने का रिवाज़ है।

नर्क से बचने का एकमात्र सरल तरीका है भगवत भजन
उन्होंने कहा कि
जो आपको दिख रहा है वह भी हमारे पुराणों में वर्णित है जो आपको दिख रहा है तो अगर वह आपको दिख रहा है तो आपको विश्वास करना होगा। लेकिन जो आपको नहीं दिख रहा है, वह भी हमारे पुराणों में है जो आपको नहीं दिख रहा है। लेकिन आप कहो कभी न कभी उन इस विषय पर विश्वास होना ही पड़ेगा।

धैर्य रखने से उन परिस्थितियों में भी सफल हो जाते हैं जो कि एक निश्चित असफलता जान पड़ती है। युवाओं में आजकल मांस खाने की बड़ी होड़ है। टीवी चैनल्स में ऐड भी ऐसे आते हैं, उन ऐड को देख देखकर भी मांस खाने की प्रवृत्ति जागृत हो रही है। एक चीज समझ लीजिए, मांस भक्षण करने से आपका आहार अशुद्ध होता है, आहार अशुद्ध होने से आपका विचार अशुद्ध होता है और विचार अशुद्ध होने से आपका कर्म अशुद्ध होता है और कर्म शुद्ध हो जाने के कारण आपको रिजल्ट भी उतना ही खतरनाक मिलता है, इसमें कोई दोराय नहीं आप इस बात को ऐसे समझिए जैसे आप स्कूल में गए, आपका एडमिशन हुआ कि नहीं लेकिन इससे पहले आपने सुना स्कूल जाने से अच्छा बनेंगे पहले आपने सुना फिर उसके बाद आप स्कूल गए, फिर आपने कॉपी किताब में कुछ लिखा पढ़ा किया उसके बाद रिजल्ट आया।
धार्मिक शिक्षा हमको बताती है कि हमें किस तरह से जीवन को जीना चाहिए।

महाराज श्री ने श्रद्धालुओं को गाय की महिमा भी बताई। हमारी मां तो अपने आंचल से हमें दो चार साल दूध पिलाती है, गौमाता तो जब तक हम मर ना जाए तब तक अपने आंचल का दूध देती है। जिस गांव की सेवा पूजा भगवान श्रीकृष्ण करते हैं, उस गौ माता के मांस को खाने में तुम्हें शर्म नहीं आती और टीवी पर इंटरव्यू देते हो शर्म आनी चाहिए।

इतिहास गवाह है की प्रभु हमेशा वहां पहुंचे हैं जहां दिल से भक्त ने पुकारा है।

पूज्य श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी ने श्रीमद्भागवत कथा चतुर्थ दिवस के प्रसंग का वृतांत सुनाते हुए बताया कि वामन अवतार भगवान विष्णु के दशावतारो में पांचवा अवतार और मानव रूप में अवतार था। जिसमें भगवान विष्णु ने एक वामन के रूप में इंद्र की रक्षा के लिए धरती पर अवतार लिया। वामन अवतार की कहानी असुर राजा महाबली से प्रारम्भ होती है। महाबली प्रहलाद का पौत्र और विरोचना का पुत्र था। महाबली एक महान शासक था जिसे उसकी प्रजा बहुत स्नेह करती थी। महाबली ने भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी जिसके फलस्वरूप भगवान ब्रह्मा ने प्रकट होकर वरदान मांगने को कहा। बाली ने भगवान ब्रह्मा वरदान मांगा की मुझे इंद्र के बराबर शक्ति चाहिए और मुझे युद्ध में कोई पराजित ना कर सके।” भगवान ब्रह्मा ने उसे वरदान दे दिया। बाली ने इंद्रदेव को पराजित कर इंद्रलोक पर कब्जा कर लिया। एक दिन गुरु शुक्राचार्य ने बाली से कहा अगर तुम सदैव के लिए तीनो लोकों के स्वामी रहना चाहते हो तो तुम्हारे जैसे राजा को अश्वमेध यज्ञ अवश्य करना चाहिए। बाली अपने गुरु की आज्ञा मानते हुए यज्ञ की तैयारी में लग गया। इंद्रदेव देवमाता अदिति के पास सहायता के लिए गए और उन्हें सारी बात बताई। देवमाता ने विष्णु भगवान से वरदान माँगा कि वे उनके पुत्र के रूप में धरती पर जन्म लेकर बाली का विनाश करें। जल्द ही अदिति और ऋषि कश्यप के यहाँ एक सुंदर बौने पुत्र ने जन्म लिया। पांच वर्ष का होते ही वामन का जनेऊ समारोह आयोजित कर उसे गुरुकुल भेज दिया। इस दौरान महाबली ने 100 में से 99 अश्वमेध यज्ञ पुरे कर लिए थे। अंतिम अश्वमेध यज्ञ समाप्त होने ही वाला था कि तभी दरबार में दिव्य बालक वामन पहुँच गया। महाबली ने कहा कि आज वो किसी भी व्यक्ति को कोई भी दक्षिणा दे सकता है। महाबली उस बालक के पास गया और स्नेह से कहा “आप अपनी इच्छा बताइये”। उस बालक ने महाबली से कहा “मुझे केवल तीन पग जमीन चाहिए जिसे मैं अपने पैरों से नाप सकूं”।
महाबली ने हँसते हुए कहा “केवल तीन पग जमीन चाहिए, मैं तुमको दूँगा।”
जैसे ही महाबली ने अपने मुँह से ये शब्द निकाले वामन का आकार धीरे धीरे बढ़ता गया। वो बालक इतना बढ़ा हो गया कि बाली केवल उसके पैरों को देख सकता था। वामन आकार में इतना बढ़ा था कि धरती को उसने अपने एक पग में माप लिया। दुसरे पग में उस दिव्य बालक ने पूरा आकाश नाप लिया। अब उस बालक ने महाबली को बुलाया और कहा मैंने अपने दो पगों में धरती और आकाश को नाप लिया है। अब मुझे अपना तीसरा कदम रखने के लिए कोई जगह नहीं बची, तुम बताओ मैं अपना तीसरा कदम कहाँ रखूँ। महाबली ने उस बालक से कहा “प्रभु, मैं वचन तोड़ने वालों में से नहीं हूँ आप तीसरा कदम मेरे शीश पर रखिये।”
भगवान विष्णु ने भी मुस्कुराते हुए अपना तीसरा कदम महाबली के सिर पर रख दिया। वामन के तीसरे कदम की शक्ति से महाबली पाताल लोक में चला गया। अब महाबली का तीनो लोकों से वैभव समाप्त हो गया और सदैव पाताल लोक में रह गया। इंद्रदेव और अन्य देवताओं ने भगवान विष्णु के इस अवतार की प्रशंशा की और अपना साम्राज्य दिलाने के लिए धन्यवाद दिया।
इसके बाद पूज्य महाराज श्री ने भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का सुंदर वर्णन श्रवण कराया। सभी भक्तों ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया।
श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर भगवान कृष्ण की बाललीला, गोवर्धन पूजा, छप्पन भोग का वृतांत सुनाया जाएगा।
आज गुरु दीक्षा देंगे महाराज
शांतिदूत देवकीनंदन ठाकुर महाराज कल गुरुवार को सुबह 9:00 बजे से कथा स्थल टीटी नगर दशहरा मैदान पर अपने भक्तों को गुरु दीक्षा देंगे।
बुधवार को कथा में मुख्य अतिथि के रूप में बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा एवं अतिथि के रूप में संयोजक श्री राहुल कोठारी कीर्ति कोठारी, बीडीए के उपाध्यक्ष सुनील पांडे, नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी, दीपक लाल चंदानी , रामगोपाल पाठक, धमेंद्र पैगवार, जगदीश शर्मा राजगढ़ कथा के आयोजक जानकी वल्लभ, प्रमोद नेमा, लक्ष्मी नारायण, कमल, अन्नपूर्णा भोजन सेवा केंद्र के समस्त सहयोगी ने पूज्य महाराज श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। जिसके बाद अन्नपूर्णा भोजन सेवा केंद्र के सदस्यों ने पूज्य महाराज श्री को राधा-कृष्ण की तस्वीर भेंट कर अभिनन्दन किया।

Pradeep Jaiswal

Political Bureau Chief

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