छत्तीसगढ़ : कही-सुनी ( 27 FEB-2022)

हार कर जीतने वाले

शाहरुख़ ख़ान की फिल्म बाज़ीगर का मशहूर डायलॉग है – “हार कर जीतने वाले को बाज़ीगर कहते हैं!” ऐसा ही कुछ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर का कुलपति खाँटी जनसंघी के बेटे को बनाए जाने के बाद भी राज्य के कांग्रेसी नेता अपनी जीत बताते कह रहे हैं कि उनकी मांग और दबाव के चलते ही छत्तीसगढ़िया को कुर्सी मिली। कहते हैं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के नव नियुक्त कुलपति डॉ गिरीश चंदेल के पिता मनसुखलाल चंदेल रायपुर में जनसंघ और बाद में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कर्मठ नेता रहे हैं और दीया-बाती चुनाव चिन्ह पर रायपुर शहर से साठ के दशक में चुनाव लड़ चुके हैं। कहते हैं कांग्रेस के नेता राज्य के एक कृषि कालेज के डीन को कुलपति बनवाना चाहते थे, लेकिन राज्यपाल अनुसुईया उइके ने डॉ गिरीश चंदेल की नियुक्ति कर स्थानीयता का ऐसा दांव चल दिया कि कांग्रेसियों को हार को भी जीत बताने पर मजबूर होना पड़ रहा है। डॉ. चंदेल छत्तीसगढ़ के सिमगा, हथबंद के ग्राम-कुकरा चुन्दा के मूल निवासी हैं। लोग कह रहे हैं संघ परिवार के होने के कारण कांग्रेस के लोग मध्यप्रदेश के एक विश्वविद्यालय में कुलपति रह चुके दिल्ली के एक बड़े पत्रकार का विरोध न करते तो कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय को भी स्थानीय कुलपति मिल जाता।

बढ़ेगी राजनीतिक तपिश

वैसे तो इन दिनों छत्तीसगढ़ का मौसम धीरे-धीरे गर्म होने लगा है, संभावना है कि पांच राज्यों के चुनाव निपटने के बाद यहां की राजनीतिक तपिश बढ़ जाएगी। इसमें कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के लोग झुलस सकते हैं। चुनाव बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य में आयकर और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ) के छापे की आशंका जाहिर कर रहे हैं, तो उनके वरिष्ठ मंत्री और मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल टी एस सिंहदेव एंटी इंकम्बेंसी का सुर-राग अलापते मंत्रिमंडल में हेरफेर की बात कर रहे हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पिछड़ा वर्ग विभाग के अध्यक्ष पद से मंत्री ताम्रध्वज साहू के इस्तीफे से अटकलों का बाजार गर्म है। कोई पांच राज्यों के चुनाव में उपेक्षा से नाराज होकर इस्तीफे की बात कर रहा है, तो कोई और कुछ कर रहा है। करीब-करीब दो महीने तक चलने वाले विधानसभा के बजट सत्र को 13 बैठकों में समेट लेने के निर्णय से भी हवा में शीतलता का अहसास नहीं हो रहा है। बजट सत्र 7 से 25 मार्च तक तय है, पर कितने दिन तक चलता है, यह महत्वपूर्ण होगा। वहीं पांच राज्यों के चुनाव के बाद भाजपा हाईकमान भी छत्तीसगढ़ की तरफ नजरें दौड़ाएगी और 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए बिसात भी बिछाएगी। इस कारण माना जा रहा है कि भाजपा में भी सर्जरी हो सकती है। अब देखते हैं क्या होता है?

टूटने लगा सिंहदेव के सब्र का बांध ?

जब से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी है , तब से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ,कभी मुख्यमंत्री की चाहत व्यक्त कर, तो कभी बयानों के कारण सिंहदेव सुर्ख़ियों में आ जाते हैं। इस बार राज्य में कांग्रेस राज में सरकार विरोधी लहर की बात कर और उत्तरप्रदेश में कांग्रेस की वास्तविकता बयां कर चर्चा में आ गए हैं। भाजपा राज में नेता प्रतिपक्ष रहे टी एस सिंहदेव की दिली इच्छा एक बार राज्य के मुख्यमंत्री बनने की बताई जाती है। इच्छा पूरी होते-होते रह जा रही है। ढाई-ढाई साल को लेकर छाये बादल का भी रह-रहकर असर दिखता है। पिछले साल जून-जुलाई में घटघोप बादल छा गए थे, पर बरसे नहीं। लोग कहने लगे हैं कि सिंहदेव साहब के सब्र का बांध टूटने लगा है। इस कारण सरगुजा महाराज की जुबान पर सच्चाई आ जा रही है।

पसोपेश में सरकार ?

कहते हैं एक वीआईपी जिले के एसपी रहे दो आईपीएस अधिकारी अपना बोरिया -बिस्तर पुराने जिले के एसपी बंगले में ही अलग-अलग कमरे में ताला बंद कर छोड़ आए हैं। एक एसपी साहब तो वीआईपी जिला छोड़कर तीसरे जिले में पहुँच गए हैं, लेकिन अपने सामान का सुध नहीं ले रहे हैं। कहा जा रहा है एसपी बंगले के दो कमरे में कब्जे के कारण मौजूदा एसपी साहब को एक ही कमरे में गुजर बसर करना पड़ रहा है। वीआईपी जिले में अभी पदस्थ एसपी साहब अपने दो पूर्ववर्तियों से सीनियर हैं , फिर भी मन मसोस कर अपना काम चला रहे हैं।

एक बंगले में तीन एसपी का कब्जा

कहा जा रहा है कि पुलिस के आला अफसर भी जुगाड़ से पोस्टिंग के खेल में माहिर हो गए हैं। चर्चा है कि एक बड़े पुलिस अफसर ने कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी से सिफारिश लगवाकर प्राइम इलाके में फील्ड पोस्टिंग ले ली। कहते हैं इस आईपीएस की बेटी उत्तरप्रदेश में अफसर है। खबर है कि कांग्रेस की सरकार ने प्राइम इलाके में फील्ड पोस्टिंग को एक ऐसे अफसर के लिए रिजर्व रखा था , जिनके रिश्तेदार एक सेंट्रल एजेंसी में ऊंचे ओहदे में हैं। अब सरकार सेंट्रल एजेंसी वाले अफसर के रिश्तेदार आईपीएस के लिए अच्छी जगह तलाश नहीं कर पा रही है और पसोपेश में है। माना जा रहा है कि सरकार को तो इधर कुआँ और उधर खाई नजर आ रहा है।

एक सरकारी संस्थान में सेक्स स्कैंडल

शिक्षा से जुड़े एक सरकारी संस्थान में सेक्स स्कैंडल को लेकर इन दिनों बड़ी चर्चा है। कहते हैं संस्थान की एक महिला कर्मचारी ने महाप्रबंधक स्तर एक अफसर पर यौन हिंसा का आरोप लगाया है। कहा जा रहा है कि मामला विशाखा कमेटी को जाएगा, तब सब कुछ खुलासा होगा। यौन हिंसा के आरोप में घिरे अफसर को संस्थान के अध्यक्ष का चहेता बताया जाता है। खबर है कि अफसर प्रतिनियुक्ति पर संस्थान में आए हैं। राजनीतिक पकड़ और संरक्षण के चलते अफसर के खिलाफ अब तक कोई मुंह नहीं खोल रहा था।

भुवनेश पर भरोसा

2006 बैच के आईएएस भुवनेश यादव पर भूपेश सरकार का भरोसा बढ़ गया है। सचिव उच्च शिक्षा, एमडी मंडी बोर्ड और बीज निगम के साथ वे रीना कंगाले के लौटने तक मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी,सचिव महिला बाल विकास और समाज कल्याण की जिम्मेदारी भी संभालेंगे। आने वाले कुछ महीनों में खैरागढ़ विधानसभा का उपचुनाव होना है , ऐसे में भुवनेश के कंधे पर बड़ा बोझ है। कहते हैं पहले मुख्यमंत्री के एक सचिव को अतिरिक्त जिम्मेदारी देने की बात चली थी, लेकिन कुछ नियुक्तियों के कारण सुर्ख़ियों में रहने के कारण वे पीछे हो गए।

समय-समय की बात

2005 बैच के टोपेश्वर वर्मा, एस. प्रकाश और नीलम एक्का अलग-अलग विभागों में सचिव की जिम्मेदारी स्वतंत्र रूप से संभाल रहे हैं। इसी बैच की आर. शंगीता प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ के अधीन काम करेंगी। भूपेश सरकार ने शंगीता को सचिव वन और उद्योग बनाया है। भाजपा राज में शंगीता कई जिलों की कलेक्टर रहीं और पावरफुल भी । भूपेश सरकार में पावरफुल एक अफसर इनके मातहत काम कर चुकी हैं। चर्चा है कि शंगीता एक जिले की कलेक्टर थीं , तब दोनों की पटरी नहीं बैठ पाई थी। वैसे भूपेश सरकार के आते ही शंगीता राज्य से बाहर चलीं गईं थीं।

(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

Pradeep Jaiswal

Political Bureau Chief

Leave a Reply