दबंग अध्यक्ष के रूप मे याद किये जायेंगे विष्णु दत्त शर्मा-सुबोध अग्निहोत्री – 9425129460

साधारण परिवार के साधारण कार्यकर्ता के रूप मे प्रारम्भ हुई विष्णु दत्त शर्मा की राजनैतिक यात्रा दबंग अध्यक्ष के रूप मे हमेशा याद की जाएगी । विद्यार्थी परिषद के बोध वाक्य (ज्ञान, शील, एकता, परिषद की विशेषता) में काम करते हुए धीरे धीरे राजनीति के पायदान पर चढ़ते चले गये। पूरे पांच साल तक प्रदेश अध्यक्ष रहे। प्रदेश में वे वी. डी. भाई साहब के नाम से ही चर्चित रहे। छात्र राजनीति में संघर्ष और आंदोलनों के चलते उनकी छवि जुझारू कार्यकर्ता के रूप में रही। वे कार्यकर्ता के काम आने वाले अध्यक्ष के रूप मे जाने- पहचाने गये। उनके अंदर तुरन्त निर्णय लेने की क्षमता थी। वे आम तौर पर भी एवं पार्टी में भी काम को लटकाने में नहीं बल्कि निपटाने में विश्वास रखते थे। दबंग इतने कि अनुशासनहीनता और पार्टी लाइन के विरोध में काम करने वाले के विरुद्ध कार्यवाही करने में जरा सी भी देर नहीं लगाते थे। सत्ता व संगठन के बीच समन्वय का भी उन्होंने अद्भुत उदाहरण पेश किया। वैसे तो सत्ता से उनका समन्वय ठीक ही रहा, लेकिन यदि अंदरूनी कोई बात हुई भी हो तो न तो कभी चर्चा में आई और न ही अख़बार की सुर्खियों में। वे पार्टी के पूर्ण समर्पित कार्यकर्ता के रूप में जाने- पहचाने गये, उनका मुखर विरोध भी कभी देखने सुनने को नहीं मिला। वे सबको साथ लेकर चलने में विश्वास रखते थे, इसी कारण उनका कोई विरोध नहीं था।

पुराने परिचित होने के बाद भी मैं उनके अध्यक्ष कार्यकाल में बमुश्किल एक दो बार ही मिला, तब भी सिर्फ राम-राम, श्याम-श्याम ही हुई। लेकिन उनकी कार्यशेली से हमेशा प्रभावित रहा। वे अभी दूसरी बार के सांसद हैं, पार्टी नेतृत्व ही उनकी नई व अगली भूमिका तय करेगा।

मामा शिवराज सिंह जी के कार्यकाल में भी उनकी उनसे अच्छी ट्यूनिंग रही। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. श्री बाबूलाल जी गौर का एक ही ध्येय वा क्य था कि- संगठन की ही सरकार है, वे संगठन को महत्व भी देते थे और आदर भी करते थे। उनके कार्यकाल में प्रो. कप्तान सिंह जी सोलंकी ने जिस ठसक और अनुशासन से सरकार की छवि आम जनता में बनाई वह स्तुत्य है। वी डी शर्मा जी चूँकि मूलतः मुरैना ज़िले में जन्मे, पले-बढ़े सो उनके स्वभाव और कार्य-व्यवहार में खरखरापन रहना स्वाभाविक ही है। दबंगई भिंड- मुरैना जिले के जातकों का मूल पिंड है।
अतः वे सरकार से जनहित और मन माफ़िक़ काम कहने और कराने में कभी गुरेज़ नहीं करते थे लेकिन सब कुछ अनुशासन के दायरे में।

प्रदेश के नव निर्वाचित अध्यक्ष के संबंध में मान. मुख्यमंत्री जी ने इस बदलाव को “ऋतु- परिवर्तन“ के रूप में माना है। हेमंत जी खंडेलवाल संघ बीज की विरासित से पुष्पित और फलित व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं । उन्होंने बचपन से ही राजनीति के गुण- धर्म सीखे हैं। सरलता , सहजता और सज्जनता के रूप में उनके स्व. पिता श्री विजय खंडेलवाल जी को कौन नहीं जानता ? उनका रक्तांश आज हम सबके बीच में प्रदेश नेतृत्व के रूप में प्रतिष्ठित हुआ है यह हम सबके लिये गौरव और आनंद का क्षण है।

लेखक- स्वतंत्र पत्रकार हैं

Pradeep Jaiswal

Political Bureau Chief