
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कार्यशैली के सब कायल हैं। फिर चाहे उनके द्वारा जनहितैषी कार्यों के लिए प्रशासनिक कसावट किए जाने की बात हो या फिर योजनाओं के क्रियान्वयन की बात। उन्होंने बड़े से बड़े निर्णय लेने में अपनी इच्छाशक्ति दिखाई है। खास बात है कि उनकी प्राथमिकता में प्रदेश का किसान, गरीब, युवा, आदिवासी और महिलाओं की सुरक्षा रही है। राजनैतिक उथल-पुथल का माहौल होने के साथ ही कोरोना की तीसरी लहर की आशंका भी बनी रही। लेकिन चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान ने परिपक्वता के साथ कड़े निर्णय लेकर एक अलग छवि बनाई है। हालांकि कोरोना से निपटने की रणनीति के और उपचुनावों में जनता के सामने अपनी और सरकार की स्वच्छ छवि पेश करना बड़ी चुनौती थी। बावजूद इसके इस लक्ष्य को भेदकर शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस के बढ़ते कदमों पर ब्रेक लगा दिया। आदिवासियों के अधिकार के लिए पेसा कानून बनाया, लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाया, सूदखोरी के खिलाफ कानून बनाया। यही नहीं माफियाओं के खिलाफ की गई कार्रवाई से जनता में सरकार के प्रति भरोसा पैदा करने का काम किया गया। मुख्यमंत्री ने ग्वालियर चंबल संभाग के छह जिलों में आई बाढ़ से राहत के लिए खुद मोर्चा संभाला और राहत, बचाव के साथ ही नुकसान की भरपाई के लिए तीव्र गति से निर्णय लिए। कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के चलते जिलों में कलेक्टर, एसपी को निगरानी और महामारी से बचाव की जिम्मेदारी दी गई। इनके साथ सतत संपर्क में रहकर वर्चुअल फीडबैक लेकर महामारी के प्रभाव को रोकने का काम किया गया। ज्ञात रहे कि पिछले साल कोरोना के समय मुख्यमंत्री चौहान की दूरदर्शिता की प्रशंसा हुई थी। कि राज्यों ने मध्यप्रदेश के संक्रमण से बचाव के मॉडल को सराहा था। मुख्यमंत्री की अगुआई में प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान लोगों को घर से बाहर न निकलने जागरूक किया गया। ऑक्सीजन की कमी से निपटने, दवाइयों की आपूर्ति और अस्पतालों में मरीजों को बेड उपलब्ध कराने तक की व्यवस्थाओं में वे आला अफसरों के साथ खुद भी दिन-रात जुटे रहे। परिणामस्वरूप कोरोना के केस धीरे-धीरे कम होने लगे और प्रदेश में बंद पड़ी गतिविधियों का संचालन शुरू हो सका था।
आत्मनिर्भर मप्र की दिशा में बढ़े कदम
यहां उल्लेख करना आवश्यक है कि पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण के दौरान लगाए गए लॉकडाउन की वजह से प्रदेश भर में औद्योगिक गतिविधियां लगभग ठप हो गई थी। आत्मनिर्भर मप्र के लिए बनाए गई ऱोडमैप पर ब्रेक लग गया था। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद आगे आए और निवेशकों और उद्योगपतियों के साथ समन्वय स्थापित करने का प्रयास किया। कई दौर की बातचीत हुई। केंद्र से सहयोग लिया और प्रदेश के हर जिले में ऑक्सीजन प्लांट लगाने से लेकर फार्मास्यूटिकल हब, इंजीनियरिंग हब, प्लास्टिक उद्योगों का क्लस्टर, फर्नीचर क्लस्टर और औषधि और जड़ी बूटियों से संबंधित उद्योग लगाने के लिए बड़े स्तर पर काम किए गए। दूसरी ओर केंद्र की मदद से लाखों किलोमीटर सड़कों का जाल बिछाने के प्रावधान के साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर के बड़े कामों की शुरुआत की गई है। यही वजह है कि अब उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में प्रदेश की स्थित देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा और बेहतर होगी।
आदिवासी सम्मेलन और रानी कमलापति का गौरव स्थापित किया
वैसे तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बड़े आयोजन कराने में माहिर माने जाते है लेकिन हाल ही में उन्होंने जनजातीय समुदाय का ऐतिहासिक कार्यक्रम राजधानी भोपाल में आयोजित किया और इस वर्ग को इकट्ठा किया। उनके उत्थान के लिए कई योजनाएं लागू किए जाने की घोषणा की। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में बड़ी संख्या में जनजातीय समुदाय है। खास बात है कि उनके लिए आयोजित इस सम्मेलन में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया गया था। इस दौरान राजधानी भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम गौड़ जाति समुदाय की रानी रही प्रदेश का गौरव, रानी कमलापति के नाम पर रखने का बड़ा काम शिवराज सिंह चौहान ने किया। इससे अतीत के गोंड समुदाय के साम्राज्य को जानने और समझने का अवसर नई पीढ़ी को मिलेगा।
किसानों की खुशहाली के लिए उठाए कदम
सीएम शिवराज ने प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने और उनकी खुशहाली के लिए अनेक कदम उठाए हैं। किसानों को उनकी मेहनत का पूरे सम्मान के साथ लाभ मिले इसको लेकर गंभीरता से प्रयास किए। इसी तरह स्ट्रीट वेंडरों के लिए योजना लेकर आए और उन्हें ऋण मुहैया कराया गया। कोरोना के कारण बेपटरी हुए उद्योगों की बहाली के लिए प्रयत्न किए तो सरकारी कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण काल में ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर उनके परिवार के सदस्यों को अनुकंपा नियुक्ति और अन्य लाभ पहुंचाने की योजना बनाई। यहां तक कि योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचाने में लापरवाही बरतने वाले कई जिलों के कई अफसरों को हटाया भी गया। यानी सीएम शिवराज सिंह ने जनता की समस्याओं को दूर करने के लिए किसी भी क्षेत्र में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।
लव जिहाद रोकने बनाया कानून और पुलिस कमिश्नर प्रणाली की लागू
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में लव जिहाद की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाया। जिससे इस प्रवृत्ति के लोगों की अक्ल ठिकाने पर आ गई और अब पूरे प्रदेश में ऐसी घटनाओं में एकदम से कमी आई है। लव जिहाद के खिलाफ शिवराज सरकार धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश लेकर आई और इसे लागू किया गया। इसके तहत बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबर्दस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर दस साल की सजा का प्रावधान किया गया। यह गैर जमानती अपराध है। अब कोई शख्स धन और संपत्ति के लालच में धर्म छिपाकर शादी करता है तो उसकी शादी शून्य मानी जाएगी। इसके अलावा शिवराज जी ने इंदौर और भोपाल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया है। शिवराज जी की मंशानुसार पुलिस प्रणाली को लागू कराने में एसीएस राजेश राजौरा ने महती भूमिका निभाई है। मुख्यमंत्री के सबसे भरोसेमंद अफसर राजेश राजौरा पूर्व में प्रदेश में कोरोना की बिकराल समस्या से निपटने और ग्वालियर चंबल में आई बाढ़ के समय राहत और बचाव कार्यों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा चुके हैं। दरअसल कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने के पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि यह मुश्किल काम है क्योंकि इससे आईएएस और आईपीएस के बीच टकराव की स्थिति बनेगी। लेकिन राजौरा की रणनीति से यह मुश्किल भी दूर हो गई। बता दें कि पूर्व की कांग्रेस सरकारों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली को लेकर जोर-शोर से चर्चाएं तो हुईं पर इसे लागू कराने में उनके नेताओं में सामर्थ्य का अभाव रहा।
आदिवासियों को अधिकार देने पेसा एक्ट लागू किया
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने टंट्या मामा के बलिदान दिवस के मौके पर पेसा एक्ट लागू किया। इसके तहत पंचायतों द्वारा अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार किया जाना है। पेसा एक्ट के अनुसार स्थानीय संसाधनों पर अनुसूचित जाति और जनजाति लोगों की समिति को अधिकार दिए गए हैं। इससे ग्राम पंचायतों को जमीन, खनिज संपदा, लघु वनोपज की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार मिलता है। इसमें आदिवासी समाज की परंपराओं, रीति-रिवाज, सांस्कृतिक पहचान, समुदाय के संसाधन और विवाद समाधान के लिए अपने परंपरागत तरीकों का इस्तेमाल करना भी शामिल हैं।
सरकारी व निजी संपत्ति नुकसान पर वसूली अधिनियम
हरियाणा और उत्तरप्रदेश के बाद अब मप्र ने भी हाल ही में सरकारी व निजी संपत्ति नुकसान की वसूली अधिनियम पास किया है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह लागू हो गया है। इस कानून के दायरे में प्रदर्शनकारी और आंदोलनकारी आएंगे। यानी प्रदर्शन, आंदोलन, पत्थरबाजी के दौरान किसी तरीके से सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है तो सरकार उन्हीं से इस नुकसान की वसूली करेगी। यही वजह है अब तो प्रदेश की जनता भी कह रही है कि शिवराज है तो सब संभव है।