शिवराज सरकार के प्रयास से मप्र बनेगा अद्वैत का वैश्विक केंद्र : राकेश शर्मा

भोपाल। आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास की पहल पर आचार्य शंकर के प्रकट पर्व पर आयोजित समारोह में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मप्र को अद्वैत का वैश्विक केंद्र बनाएंगे। कार्यक्रम को केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी संबोधित किया। मप्र के मुख्यमंत्री, भगवान के वरदान शिवराजसिंह चौहान ने कहा- "हमने हज़ारों साल से संसार को एक परिवार माना। हर विचार को भारत ने स्थान दिया। विरोध की कहीं कोई गुंजाइश नहीं। समस्त सृष्टि और प्राणियों में ईश्वर को देखा। भारत ने चेतना के विकास के मार्ग खोले। एकात्मता का भाव विस्तृत किया। संकट में सब एक हो जाते। यह भारत की उदार और विकसित दृष्टि अद्वैत की है। हम अद्वैत वेदांत का वैश्विक केंद्र मध्यप्रदेश में बना रहे हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि ओंकारेश्वर मे आदि शंकर को समर्पित प्रकल्प केवल मध्य प्रदेश का नहीं, पूरे विश्व का होगा, क्योंकि आज अद्वैत विश्व की आवश्यकता है। भारत की ज्ञान परंपरा इतनी भारी है कि भारत को विश्व गुरू होना ही चाहिए। मध्यप्रदेश ने इस दिशा में सकरात्मक पहल की है। आरिफ मोहम्मद खान ने कहा-" जिस राज्य ने विश्व को आदि शंकर जैसा एक सूत्र में पिरोने वाला दिया, वहाँ से उनकी गुरू भूमि पर आने का अवसर दिया। ओंकारेश्वर का प्रकल्प पूरी दुनिया के लिए होगा। शंकर ने पूरे विश्व को दिव्यता के दर्शन कराया। शंकर ने कभी ये दावा नहीं किया कि ये ज्ञान उनका है। उन्होंने समय के साथ संस्कृति पर इकट्ठा धूल को साफ किया। समाज को आगे बढ़ने के लिए एकता जरूरी है। एकता का आधार क्या हो, रंग, भाषाया आस्था? भारत की सभ्यता ने सत्य को एक ही बताया। संतों ने अपने तप से मनुष्य के लिए मार्ग खोजे।" संसार में विविधता का इतिहास हज़ारों साल का है। हम दुनिया को नहीं बता सके कि भारत भूमि ज्ञान की भूमि रही। विवेकानंद ने कहा था कि विविधता के बीच एकता की खोज ही ज्ञान है। आदि शंकर ने चारों मठों को चार वेद वाक्य दिए जिनका मनुष्य मात्र के लिए महान अर्थ है। मनुष्य में असीमित संभावनाएं हैं। उन्होंने सारे भेद हटाकर हर मनुष्य को मोक्ष का अधिकारी बताया। स्वामी परमात्मानंद जी ने कहा-" समाज में बौद्धिक प्रमाणिकता की समस्या है। स्वराज की प्राप्ति आचार्य शंकर ने ही कराई। विरोधाभासी विविधता से भरे देश को अध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता ने ही बांधकर रखा। जैन, बौद्ध और सिख के सांस्कृतिक मूल्य समान हैं। एकात्म दर्शन को देश में फिर से स्थापित करने की आज भी जरूरत है। शंकर के समय जैसी विकट परिस्थितियां आज भी हैं। नए संप्रदाय व्यक्ति केंद्रित खड़े हो गए हैं। समाज सिद्धांत केंद्रित नहीं रहा। हिंदू शास्त्र केंद्रित धर्म है, व्यक्ति केंद्रित नहीं। हिंदू धर्म जीवन की दृष्टि देता है।

Pradeep Jaiswal

Political Bureau Chief

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