
बसंत पंचमी का पर्व
05-02-2022, शनिवार को है। इस दिन पर विशेष रूप से मां सरस्वती की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही ज्ञान की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था, इस कारण से बंसत पंचमी के दिन विधि-विधान से देवी सरस्वती की पूजाव आराधना की जाती है। माता सरस्वती के जन्म की कथा के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने मनुष्य की रचना की। लेकिन ब्रह्मा जी अपनी रचना से संतुष्ट नहीं थे और सभी तरफ उदासी से सारा वातावरण मूक था। यह देखकर ब्रह्माजी अपने कमण्डल से जल छिड़का और उन जलकणों के पड़ते ही पेड़ों से एक सुंदर स्त्री के रूप में देवी प्रकट हुईं। उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी। तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। यह देवी थीं मां सरस्वती। मां सरस्वती ने जब वीणा बजाई तो संसार की हर चीज में स्वर आ गया। इसलिए उनका नाम पड़ा देवी सरस्वती। चूंकि यह दिन था बसंत पंचमी का इसलिए तभी से देव लोक और मृत्युलोक में मां सरस्वती की पूजा होने लगी।
बसंत पंचमी को शैक्षणिक संस्थानों, घरों और मंदिरों में देवी सरस्वती के जन्मदिन का प्रतीक माना जाता है. इस दिन हिंदू पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ ज्ञान, कला और संगीत की देवी सरस्वती की पूजा करने के लिए सरस्वती पूजा करते हैं. बसंत पंचमी हिंदू कैलेंडर में ‘माघ’ के महीने में शुक्ल पक्ष की ‘पंचमी’ को मनाई जाती है. जो अंग्रेजी कैलेंडर में जनवरी-फरवरी के महीने से मेल खाती है. यह त्योहार भारत में वसंत ऋतु की शुरुआत का भी प्रतीक है.
बसंत पंचमी का महत्व
ऐसा माना जाता है कि इसी दिन वेदों की देवी प्रकट हुई थीं इसलिए इस दिन शिक्षा प्रारंभ करने या किसी नई कला की शुरूआत करने के लिए ये दिन शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि शिक्षण से जुड़े छात्र छात्राएं इस दिन यदि मां सरस्वती का पूजन करते हैं तो उन्हें लाभ मिलता है।जल्दी उठें और स्नान आदि से निवृत्त होकर माता सरस्वती की पूजा अर्चना करें।
मां सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति को पीले रंग के वस्त्रों से सुसज्जित करें और उन्हें पीले फूल अर्पित करें।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन से बसंत ऋतु का आरंभ होता है इसलिए चारों तरफ का वातावरण पीले फूलों से सुसज्जित दिखाई देता है।
सरस्वती माता को रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत अर्पित करें।
पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबें रखकर श्रद्धा भाव से पूजन करें।
मां सरस्वती की वंदना करें और आरती करके प्रसाद चढ़ाएं।
पूजा के बाद भोग सभी में अर्पित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
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-श्रीमति रश्मि चौकसे राय
निर्देशक व संस्थापक
ॐ टीम
-पेरेंटिंग कोच व कैरियर काउन्सिलर (अमेरिका, कनाडा व भारतीय विश्वविद्यालय)
–वाइस प्रेसिडेंट
हरियाणा आइस एसो०
विंटर अलिम्पिक गेम्ज़
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