सामाजिक जिम्मेदारी से ही कम होगा कोराना संक्रमण

ऋतु संजय खांडे
skhande@hotmail.com


समझदार मध्यमवर्ग एवं उच्च वर्ग के लोग वर्तमान संकट में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं ,क्योंकि कोरोना का संक्रमण जैसे की आशंका व्यक्त की जा रही थी उसी अनुरूप तीव्र गति से अपने पैर पसार रहा है. अब ग्रामीण क्षेत्र भी इसकी संक्रमण क्षमता की परिधि में धीरे धीरे बढ़ता जा रहा है. 84 दिन के लॉकडाउन पश्चात धीरे धीरे जीवन पटरी पर ना चाहते हुए भी लाया गया है जो कि अति आवश्यक है. हमेशा के लिए लॉकडाउन लगाना किसी भी समस्या का निदान नहीं हो सकता था, लॉकडाउन के दौरान सरकारों, संस्थाओं एवं आमजन में कोरोना के संबंध मे जागरूकता, बचाव एवं न्यूनतम सुविधाएं अधोसंरचना के रूप में तैयार करना अत्यंत आवश्यक था, साथ ही सुरक्षा के लिए उपयोगी सामग्री का उत्पादन, परिवहन एवं वितरण हेतु भी प्रबंधन की आवश्यकता के अनुरूप व्यवस्थाएं अल्प सीमित संसाधनों के माध्यम से की गई है. दीर्घकालीन लाॅकडाउन भारत एवं प्रदेशों के लिए किसी भी दृष्टि से ना तो उपयुक्त है एवं ना ही समाधान कारक हो सकता है. वर्तमान स्थिति में जो सक्षम हैं वह संक्रमण से बचाव हेतु महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन वर्तमान समय में कर सकते हैं. कोरोना संक्रमण के विभिन्न राज्यों के साथ मध्यप्रदेश के विभिन्न स्थानों पर वृद्धि के विश्लेषण से आभास होता है कि लॉकडाउन के पश्चात विभिन्न वर्ग के अधिकांश जनमानस बगैर किसी काम, आवश्यकता के अपने घरों से बाहर सार्वजनिक स्थानों पर विचरण कर रहे हैं एवं निर्धारित सुरक्षा मापदंडों का पालन भी नहीं कर रहे हैं, इसलिए संक्रमण की रफ्तार अत्यधिक हो रही है. कोरोना का संक्रमण गरीब से अमीर, नेता से अभिनेता सभी को प्रभावित कर रहा है. अब सिर्फ अपने आपका बचाव ही एकमात्र सुरक्षा हो सकती है. वर्तमान समय में बरसात का मौसम, नमी एवं आद्रता के कारण मौसमी बीमारियों का भी प्रभाव बढ़ेगा तथा इसी के साथ कोरोना संक्रमण में भी समानुपातिक रूप से वृद्धि की ओर अग्रसर होगा. जैसा कि आंकड़ों के विश्लेषण से एवं विशेषज्ञों द्वारा आंकलन किया गया है कि माह जुलाई के अंत एवं अगस्त के मध्य तक प्रदेश एवं देश में कोरोना का संक्रमण अत्यधिक हो सकता है. ऐसी परिस्थिति में शासन-प्रशासन जितने जागरूकता एवं बचाव हेतु प्रयास कर सकता है उतने प्रयास उनके द्वारा किए जा चुके हैं अब एकमात्र सामाजिक कर्तव्य के निर्वहन से ही इस संक्रमण की श्रंखला को रोकना संभव हो सकता है. इस हेतु समस्त धनाढ्य वर्ग एवं मध्यमवर्ग ही सार्थक प्रयास कर सकता है क्योंकि दोनों वर्ग भौतिक एवं आर्थिक रूप से सक्षम हैं. अतः दोनों वर्ग आगामी एक माह तक अपने-अपने निवास स्थान पर ही रहे तथा वहीं से अपने व्यवसायिक एवं आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित करते रहें क्योंकि निम्न वर्ग किसी भी परिस्थिति में लॉकडाउन या अन्य कोई प्रतिबंधात्मक आदेश का पालन करने में ना तो शारीरिक रूप से एवं ना ही मानसिक रूप से तैयार है. कोरोना पीड़ित व्यक्ति का परिवार एवं उनसे संबंधित सामाजिक कोरोना के इलाज से इतना भयभीत नहीं होता है जितना कि पॉजिटिव परिणाम आने के मानसिक अवसाद उसके एवं उसके परिवार को सामाजिक रुप से झेलना पड़ता है. कोरना पीड़ित इलाज के पश्चात स्वस्थ होकर वापस लौटने पर भी पीड़ित परिवार की सामाजिक स्थिति सामान्य स्थिति तक लाने में अत्यंत विलंब होता है, जिसके कारण पीड़ित व्यक्ति कोरोना से तो ठीक हो जाता है परंतु लंबे समय तक मानसिक अवसाद को झेलने पर मजबूर हो रहा है. अतः जब तक कोरोना के संक्रमण को रोकने अथवा इसके बचाव हेतु कोई उपयुक्त है या उचित वैक्सीन/उपचार आमजन के लिए उपलब्ध नहीं हो जाती तब तक के लिए वह व्यक्ति, वह समाज, वह वर्ग, वह संस्थाएं, स्वप्रेरणा से सर्वजन हिताय स्वयमेव लॉकडाउन करने की प्रेरणा लेकर स्वयं, परिवार, मोहल्ला, शहर, प्रदेश, देश को इस संक्रमण से बचाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करने का अमूल्य योगदान दे सकते हैं. आपका यह योगदान आपकी सबसे बडी देशभक्ति एवं समाजसेवा साबित हो सकती है.
जय हिंद.

Pradeep Jaiswal

Political Bureau Chief