
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री राजेंद्र शुक्ल का नाम एक निर्विवाद व्यक्ति के रूप में जाना जाता है. वे भले व्यक्ति हैँ. किसी विवाद से उनका कोई नाता नहीं रहा. जिस विभाग की जिम्मेदारी उन्हें मिली उसी में रम गये. विभाग की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया. रीवा से प्रतिनिधित्व करने वाले श्री शुक्ल छः बार के विधायक हैँ. भाजपा में आये तो यहीं रम गये और फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा. भाजपा में ऐसे रच बस गये कि लगता ही नहीं है कि वे कभी कांग्रेस मेंभी रहे होंगे. पार्टी नेभी उन्हें लगातार सम्मान दिया. भाजपा शासन काल में विभिन्न विभागों के मंत्री रहे और उनकी सहजता, संवेदनशिलता और कार्य पद्धती को देख कर पार्टी नेतृत्व ने उन्हें उप मुख्यमंत्री के पद से नवाजा.
उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल से मैं कभी नहीं मिला, कोई काम भी नहीं पड़ा, वे मुझे जानते तक नहीं हैँ. लेकिन उनके असाधारण व्यक्तित्व को देख कर उनके जन्मदिन पर कुछ लिखने का मन हुआ. अच्छे व्यक्ति अखबारों की सुर्खियों से दूर रह कर अपने काम से काम रखते हैं, ऐसे ही एक व्यक्ति हैं राजेंद्र शुक्ल.
ज़ब मैं स्वदेश ग्वालियर में बतौर सम्पादक था तब एक बार संस्थान के काम से जरूर मिलने गया था, तब उनके पी आर ओ श्री ताहिर भाई के माध्यम से मिला जरूर, लेकिन काम कुछ नहीं हुआ, पर उनके व्यक्तित्व को देखने -परखने का मौका जरूर मिला. तब से लेकर अब तक न मंत्री जी से बात हुई और न ताहिर भाई से. लेकिन मैंने देखा कि ताहिर भाई भी तब से लेकर सेवानिवृत्ती के बाद भी श्री शुक्ला जी से लगातार जुड़े हुए हैं. अन्यथा मंत्री के यहां तो सरकारी पी आर ओ की व्यवस्था रहती ही है. लेकिन दोनों के बीच अच्छा समन्वय आज भी बना हुआ है. यह इस बात का द्योतक है कि मंत्री जी का कार्य व्यवहार बेहद सरल है. राजनैतिक जीवन में पद पर रह कर अहंकार आना स्वाभाविक है लेकिन श्री शुक्ल इससे बिल्कुल उलट हैँ. मैंने आज तक उनके बारे में कोई ऐसी खबर नहीं देखी जिससे उनके राजनैतिक जीवन पर कोई असर पड़ा हो. उनका ऐसा कोई बयान भी आज तक देखने पढ़ने को नहीं मिला जो विवाद का कारण बना हो. यह उनके संस्कार ही हैं कि कहीं से कोई ऊँगली आज तक नहीं उठी.
कल उनका जन्मदिन है, वे पूर्ण स्वस्थ रहें, यहीं कामना है. उन्हें बहुत बहुत बधाई.
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