‘इंटरनेशनल माउंटेन डे 2020’
लेखिका- पर्वतारोही भावना डेहरिया मिश्रा

पहाड़ों से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से, दुनिया भर के देश 11 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस (इंटरनेशनल माउन्टेन डे) मनाते हैं। दुनिया भर में इस दिन पर्वतों से सम्बंधित ख़ास विषयों पर व्याख्यान, कार्यशालाएं, कला प्रतियोगिताएं और प्रेस कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। हर साल अंतर्राष्ट्रीय पर्वतीय दिवस के लिए एक विषय (थीम) तय किया जाता है।

एक प्रशिक्षित पर्वतारोही और एक एवरेस्ट विजेता होने के अनुभव के आधार पर मुझे पता है कि दुनिया की एक चौथाई से अधिक सतह पहाड़ों से ढकी हुई है, या यह कि 12 प्रतिशत से अधिक इंसानी आबादी पहाड़ों पर या उसके आसपास रहती है।
हमारे पहाड़ दुनिया भर के कई लोगों की आजीविका का प्रमुख स्रोत हैं। वे अप्रत्यक्ष रूप से हममें से प्रत्येक को कुछ न कुछ देते हैं। पहाड़ दुनिया के कम से कम पचास प्रतिशत पीने का ताजा पानी प्रदान करते हैं क्योंकि अधिकांश नदी पहाड़ों से निकलती हैं और नदियों के बारहमासी होने के एक खास प्राकृतिक तंत्र को हमारे पहाड़ बनाये रखते हैं। हमारे पहाड़ हमारे जीवन के लिए आवश्यक पारिस्थितकी तंत्र को बनाये रखते हैं इसलिए हमारा जीवन हमारे पहाड़ों के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।

लेकिन आज हमारे पहाड़ तरह तरह के खतरों का सामना कर रहे हैं जैसे भूस्खलन, हिमस्खलन, ज्वालामुखी विस्फोट, आग, तेजी से बढ़ती खेती और औद्योगिकीकरण की समस्यायें। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में जो सबसे बड़ा ख़तरा जो पैदा हुआ है वह है जलवायु परिवर्तन, जिसके प्रति दुनिया भर के वैज्ञानिक और नेता चिंता में हैं।

हमारे पर्वतीय विशेषज्ञों, भूवैज्ञानिकों और वैज्ञानिकों के अनुसार, पहाड़ पर बढ़ते दबाव हमारे वातावरण को बदल रहे है जिससे पहाड़ों पर निर्भर लोगों का नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र आजीविका पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

हमें समझना होगा कि अधिकांश गरीब लोग, लगभग 80 प्रतिशत, जो पहाड़ों के पास रहते हैं, वे बेहद गरीब,आधुनिक सुख सुविधाओं से वंचित और हाशिए पर हैं। उनके पास बुनियादी स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं नहीं हैं। वे केवल अपनी अनिश्चित खेती पर आधारित हैं। क्योंकि पहाड़ों पर मौसम बेहद कठोर होता है और मैदानी इलाकों की खेती की तुलना में पहाड़ों पर होने वाली खेती का अक्सर विफलता का अधिक जोखिम होता है।

तो हमें क्या करना चाहिए? मेरी राय में हमें पहाड़ के उत्पादों को बढ़ावा देना चाहिए जैसे खनिजों, और पारम्परिक जड़ी बूटियों का युक्तियुक्त दोहन और सीमित पर्यटन को प्रोत्साहन। इससे पहाड़ और आसपास रहने वाले लोगों की बेहतर जीवन शैली और अर्थव्यवस्था बनाये रखने में मदद मिलेगी।

इस तरह हम उच्च गुणवत्ता वाले पर्वतीय उत्पाद जैसे शहद, जड़ी-बूटियां, चाय, कॉफी, मसाले और हस्तशिल्प आदि के पहाड़ पर या आसपास रहने वाले लोगों के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यवसाय के लिए अवसर तलाश सकते हैं। इसके अलावा, पर्यटन-संबंधी सेवा जैसे स्कीइंग, ट्रेकिंग, हेरिटेज वॉक, जैसी गतिविधियां जो पर्यटकों को पहाड़ के अनूठे पहलुओं की खोज करने का अवसर देते हैं, स्थानीय स्तर पर अर्थव्यवस्थाओं में योगदान दे सकते हैं। और वहाँ के लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।

भारत महान, विविध पर्वत श्रृंखलाओं का घर है, जिसमें दुनिया के कुछ सबसे ऊंचे पर्वत शामिल हैं। इनमें हिमालयन रेंज, काराकोरम रेंज, पश्चिमी घाट (सह्याद्री पर्वत), पूर्वी घाट, विंध्य, अरावली और पटकई हिल रेंज शामिल हैं। अंतर्राष्ट्रीय पर्वतीय दिवस पर, आइए हम स्वयं पर्वतीय उत्पादों का उपयोग करके अपने पहाड़ों, स्वदेशी संस्कृतियों, परंपराओं और ज्ञान की रक्षा करने का संकल्प लें।

Pradeep Jaiswal

Political Bureau Chief