• जेवियर मेडा पर गंभीर है ‘सरकार’ और कांग्रेसी रणनीतिकार
• प्रदीप जायसवाल
भोपाल UPDATE/ दैनिक जयहिन्द न्यूज़। झाबुआ विधानसभा उपचुनाव का भले ही ऐलान नहीं हुआ हो, लेकिन कांग्रेस और बीजेपी ने अपनी तैयारियां तेज करते हुए सियासी हलचल बढ़ा दी है। बुधवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ और कुछ अन्य मंत्रियों ने एक सरकारी कार्यक्रम के जरिए मोर्चा संभाला तो इससे पहले शिवराज सिंह चौहान केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के साथ इस क्षेत्र के सियासी माहौल को गर्मा चुके हैं।
दरअसल, लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांतिलाल भूरिया विधानसभा उपचुनाव के लिए खुद को उम्मीदवार मानकर चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं, जबकि विधानसभा चुनाव का टिकट न मिलने पर कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले जेवियर मेडा़ ने भी अपनी चुनावी तैयारियों में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रखी है। चाहे टिकट कांग्रेस दे, बीजेपी दे या फिर दोबारा निर्दलीय चुनाव क्यों न लड़ना पड़े।
विधानसभा चुनाव में जेवियर मेडा़ के कारण पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, बीजेपी प्रत्याशी जीएस डामोर से कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया 10000 वोटों से पराजित हुए थे। दरअसल निर्दलीय के तौर पर जेवियर मेडा़ ने 30,000 से ज्यादा वोट हासिल किए थे। विधायक जीएस डामोर से बेटे विक्रांत के हारने के बाद खुद कांतिलाल भूरिया लोकसभा चुनाव में तकरीबन 90000 वोटों से डामोर के हाथों ही पराजित हुए। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद दिग्विजय कैंप के भूरिया एक तरह से राजनीतिक वनवास काट रहे हैं, इसीलिए वे विधानसभा उपचुनाव का मौका हाथ से गंवाना नहीं चाह रहे हैं। उधर, जेवियर मेडा़ समर्थकों का कहना है कि झाबुआ क्षेत्र में भूरिया विरोधी लहर का फायदा बीजेपी उठा लेगी, जबकि कांग्रेस सरकार की स्थिरता के लिए झाबुआ की जीत हरहाल में जरूरी है। ऐसे में जेवियर मेडा़ ही एकमात्र जिताऊ उम्मीदवार के तौर पर देखे जा रहे हैं। सरकार के अंदरखाने की मानें तो कांग्रेस के रणनीतिकारों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को भी भूरिया विरोधी फीडबैक दिया है। मुख्यमंत्री कैंप तक यह बात भी पहुंचाई गई है कि जेवियर मेडा़ चुनाव लड़कर हार या जीत के बावजूद सरकार के लिए कोई बहुत बड़ी मुसीबत नहीं बनेंगे, लेकिन कांतिलाल भूरिया अगर चुनाव जीत जाते हैं, तो उनका दावा न केवल मंत्री पद के लिए रहेगा, बल्कि वे उपमुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए भी दबाव बना सकते हैं। यह भी बताया गया कि जेवियर मेडा़ कांग्रेस में दोबारा लौट तो आए हैं, लेकिन टिकट न मिलने की सूरत में वह उनके लिए आतुर बीजेपी का भी पल्ला थाम सकते हैं और बीजेपी से टिकट मिलने पर कांतिलाल भूरिया के लिए चुनौती होंगे और स्थिर सरकार के लिए कांग्रेस की 1 सीट की उम्मीदों पर भी पानी फेर सकते हैं। कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेडा को लेकर दिल्ली तक भी सियासी नफा-नुकसान बता दिया गया है। दिलचस्प पहलू यह है कि जेवियर मेडा़ किसी कैंप के नहीं हैं और एक नेता के नाते ज्योतिरादित्य सिंधिया से थोड़ी बहुत नज़दीकियां कमलनाथ कैंप को चिंता में डालने वाली नहीं मानी जा रही है। कांतिलाल भूरिया के लिए राज्यसभा का विकल्प भी खुला माना जा रहा है। बहरहाल, जेवियर मेडा़ की प्रबल दावेदारी बनी हुई है, किंतु कांतिलाल भूरिया भी इतनी आसानी से मान जाएंगे, यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा।UPDATEMPCG/Bhopal
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